पटना : लावारिस दवा, पुलिस ने औषधि विभाग को भेजा पत्र
पटना : गोविंद मित्रा रोड में पुलिस को मिली दो कार्टन लावारिस दवा मामले में पुलिस प्रशासन ने औषधि विभाग को पत्र लिखा है. इसमें पूछा गया है कि ड्रग इंस्पेक्टर की ओर से छापेमारी के बाद नकली दवा बता कर थाने मेंदो कार्टन दवाएं मुहैया करायी गयी, लेकिन बरामद दवाएं किसकी है और मुख्य […]
पटना : गोविंद मित्रा रोड में पुलिस को मिली दो कार्टन लावारिस दवा मामले में पुलिस प्रशासन ने औषधि विभाग को पत्र लिखा है. इसमें पूछा गया है कि ड्रग इंस्पेक्टर की ओर से छापेमारी के बाद नकली दवा बता कर थाने मेंदो कार्टन दवाएं मुहैया करायी गयी, लेकिन बरामद दवाएं किसकी है और मुख्य आरोपितों पर अब तक एफआइआर क्यों नहीं करायी जा रही है? इसके बारे में पुलिस को जानकारी नहीं दी जा रही.
दवा छापेमारी मामले की जांच कर रहे पीरबहोर थाने के एडिशनल एसएचओ वर्ल्डजीत कुमार ने बताया कि 21 नवंबर को ब्रांड प्रोडेक्शन कंपनी के निदेशक सैयद मुस्तफा हुसैन के कहने पर जीएम रोड के जय मां काली इंटरप्राइजेज, जय श्री विष्णु फॉर्मा, जय माता दी ड्रग, सेंटर दवा दुकान में सात लाख से अधिक की दवाएं पकड़ी गयी. छापेमारी का नेतृत्व ड्रग इंस्पेक्टर विश्वजीत दास गुप्ता ने किया.
ड्रग इंस्पेक्टरों की छापेमारी पर सवाल
वर्ल्डजीत ने बताया कि पुलिस अब तक बरामद दवाओं को लावारिस मान रही है. वहीं, मुस्तफा हुसैन ने पुलिस के सामने औषधि विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर विश्वजीत दास व मो. कम्यूद्दीन के कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए दवा दुकानों में छापेमारी मामले की जांच कराने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि अगर छापेमारी मामले की जांच की जाये तो नकली दवाएं बेचने वाले दवा माफिया और कुछ ड्रग इंस्पेक्टर पर गाज गिर सकती है. उन्होंने कहा कि ड्रग इंस्पेक्टर की ओर से छापेमारी के बाद दवाओं को नकली करार दिया जाता है, लेकिन जब पुलिसिया कार्रवाई करने की बात आती है, तो आरोपितों को बरी कर दिया जाता है.