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पटना : कंज्यूमर फोरम में अब होगी फौरी सुनवाई, मुकदमों का होगा निबटारा, 38 सदस्य होंगे नियुक्त
कंज्यूमर फोरम में 13 अध्यक्ष पटना : प्रदेश के राज्य और जिला उपभोक्ता फोरम में दस हजार से अधिक लंबित केसों के निबटारे के लिए स्टेट कंज्यूमर डिस्पुट्स रेड्रेसल कमीशन (एससीडीआरसी ) ने राज्य और जिला स्तरीय उपभोक्ता फोरम के सदस्यों एवं अध्यक्षों की नियुक्ति का निर्णय लिया है. इसके लिए विधिवत अध्यक्ष एवं सदस्यों […]
कंज्यूमर फोरम में 13 अध्यक्ष
पटना : प्रदेश के राज्य और जिला उपभोक्ता फोरम में दस हजार से अधिक लंबित केसों के निबटारे के लिए स्टेट कंज्यूमर डिस्पुट्स रेड्रेसल कमीशन (एससीडीआरसी ) ने राज्य और जिला स्तरीय उपभोक्ता फोरम के सदस्यों एवं अध्यक्षों की नियुक्ति का निर्णय लिया है. इसके लिए विधिवत अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति करने के आदेश जारी भी कर दिये हैं.
इसके लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक और न्यूनतम उम्र 35 साल रखी गयी है. उनकी एक परीक्षा भी ली जायेगी. अभ्यर्थियों से उम्मीद की जाती है कि अर्थशास्त्र, विधि, वाणिज्य, लेखा कर्म, उद्योग, लोक कार्यकलाप या प्रशासन से संबंधित मुद्दों की अच्छी समझ रखेंगे.अभ्यर्थियों की अधिकतम उम्र उम्र 67 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए. रेड्रेसल कमीशन ने इस मामले में फोरम को दो भागों में विभाजित किया है अंशकालिक और पूर्णकालिक. पूर्णकालिक उपभोक्ता फोरम पटना, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, सीवान, वैशाली, भागलपुर, सारण, बेगूसराय, भोजपुर और नवादा को माना गया है.
इसके अलावा अंशकालिक फोरम के रूप में नालंदा, रोहतास, कैमूर, बक्सर, गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, गोपालगंज, सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, बेतिया, सहरसा, दरभंगा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, कटिहार, मुंगेर, खगड़िया, लखीसराय, शेखपुरा, जमुई, बांका, अरवल और मधुबनी चिह्नित किये गये हैं.
पूर्णकालिक फोरम उन्हें घोषित किया गया है, जहां मुकदमों की संख्या 500 से अधिक है.
जहां पांच सौ से कम मामले लंबित हैं, उन जिलों को अंशकालिक फोरम घोषित किया गया है.
200 से कम लंबित वादों वाले फोरम में प्रति सप्ताह दो दिन की बैठक निश्चित की गयी है.
300 तक लंबित वादों वाले फोरम की बैठक प्रति सप्ताह तीन दिन होगी.
300-500 से कम लंबित वादों में फोरम की बैठक प्रति सप्ताह चार दिन होगी.
इन पदों पर नियुक्ति
लंबा होता न्याय, बीस साल पुराने केस भी लंबित हैं
नियमानुसार उपभोक्ता से जुड़े केस का निर्णय 90 दिन में हो जाना चाहिए. प्रदेश के उपभोक्ता फोरम में न्यूनतम दो ढाई साल फैसले में लगते हैं.
हालांकि, ऐसा दो से पांच फीसदी केसों में ऐसा होता है. शेष 98 फीसदी केसों में वर्षों लग जाते हैं. जानकारों के मुताबिक उपभोक्ता फोरम में सैकड़ों केस 2000 से 2003 तक के लंबित हैं. पहली से दूसरी सुनवाई के बीच कम -से- कम छह माह से अधिक लग जाते हैं.
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