चुनाव आयोग ने मांगा खर्च का ब्योरा, बिहार में 120 राजनीितक पार्टियों के कार्यालय

पटना : बिहार के गांव,कस्बे से लेकर राजधानी तक 120 राजनीतिक पार्टियों का दफ्तर पंजीकृत हैं. विधानसभा चुनाव 2020 के पहले आयोग गंभीरता से चुनावी प्रक्रिया में शामिल नहीं होनेवाले दलों पर चाबुक चलाने की तैयारी में है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को मैदान में उतारनेवाली सभी अमान्यता प्राप्त किंतु रजिस्ट्रीकृत पार्टियों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2019 5:18 AM

पटना : बिहार के गांव,कस्बे से लेकर राजधानी तक 120 राजनीतिक पार्टियों का दफ्तर पंजीकृत हैं. विधानसभा चुनाव 2020 के पहले आयोग गंभीरता से चुनावी प्रक्रिया में शामिल नहीं होनेवाले दलों पर चाबुक चलाने की तैयारी में है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को मैदान में उतारनेवाली सभी अमान्यता प्राप्त किंतु रजिस्ट्रीकृत पार्टियों के हिसाब खंगाला जा रहा है.

इन सभी दलों को अपना चुनावी खर्च सहित अन्य खर्चे का हिसाब मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीइओ) कार्यालय को जमा कराना है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय अब ऐसी पार्टियों का हिसाब खंगालने में लगा है जिन्होंने अपने खर्च का ब्योरा जमा नहीं कराया है.
चुनावी वर्ष में पार्टियों पर भारी पड़ सकती है ऑडिट रिपोर्ट
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय द्वारा राज्य के सभी 120 रजिस्ट्रीकृत दलों के अध्यक्ष व महासचिव को पत्र भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि राजनीतिक पार्टियों को अपने निधियों व चुनावी खर्च में पारदर्शिता और लेखांकन रिपोर्ट जमा कराना है. इसमें राजनीतिक दलों से फाॅर्म 24 में यह ब्योरा भी मांगा है कि उनके जितने भी प्रत्याशी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारे गये उनको पार्टी फंड से कितनी राशि चुनावी खर्च के रूप में दी गयी.
इसके साथ ही लेखा परीक्षक की रिपोर्ट सहित लेखा परीक्षित वार्षिक लेखे के अलावा चुनाव खर्च का हिसाब देना है. पार्टियों को पूर्व में ही निर्देश दिया गया था कि वह अपने कैंडिडेट को चुनावी खर्च के लिए दी गयी राशि का हिसाब 30 सितंबर सुपुर्द कर दें. इसके अलावा वार्षिक लेखा परीक्षित लेखा का विवरण 31 अक्तूबर तक जमा करना था.
साथ ही विधानसभा चुनाव की समाप्ति के 75 दिनों और लोकसभा चुनाव की समाप्ति के 90 दिनों के अंदर चुनावी खर्च जमा करना का निर्देश दिया गया था. बिहार विधानसभा 2020 आम चुनाव को देखते हुए अब बिहार में दफ्तर चलानेवाले दलों के हिसाब की पड़ताल शुरू हुई है. समय पर रिपोर्ट जमा नहीं कराने वाली पार्टियों द्वारा रिपोर्ट जमा नहीं कराने पर उनकी मान्यता भी रद्द हो सकती है.

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