55 हजार किमी तार बदले गये, करेंट से मौत होगी कम

पटना : राज्य में करीब 55 हजार किमी जर्जर तार को बदलने का लक्ष्य पूरा हो चुका है. इसकी औपचारिक घोषणा 31 दिसंबर को हो सकती है. इससे राज्य में बिजली के करेंट से होने वाली मौतों में कमी आयेगी. साथ ही लोगों को निर्बाध बिजली आपूर्ति हो सकेगी. वहीं, 1312 कृषि फीडर का निर्माण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2019 5:39 AM

पटना : राज्य में करीब 55 हजार किमी जर्जर तार को बदलने का लक्ष्य पूरा हो चुका है. इसकी औपचारिक घोषणा 31 दिसंबर को हो सकती है. इससे राज्य में बिजली के करेंट से होने वाली मौतों में कमी आयेगी. साथ ही लोगों को निर्बाध बिजली आपूर्ति हो सकेगी. वहीं, 1312 कृषि फीडर का निर्माण भी लगभग अंतिम चरण में है. इनसे किसानों को सिंचाई के लिए कनेक्शन दिया जायेगा.

जर्जर तार बदलने का काम 2017 में शुरू हुआ था. इसके लिए 3070 करोड़ रुपये स्वीकृत किये थे और पहले इसे 31 दिसंबर, 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2018 में एक कार्यक्रम के दौरान जर्जर तार बदलने का लक्ष्य दिया था. इस योजना में शहरी क्षेत्रों के बिजली तारों को बदल कर एरियल बंच केबल लगाये गये, वहीं गांवों में बिजली के तार लगाये गये. ये तार 33 केवीए लाइन और 11 केवीए लाइन के हैं.
सुधरेगी आपूर्ति, कम होगा खतरा: बिजली के जर्जर तार बदलने से उपभोक्ताओं के लिए आपूर्ति में सुधार होगा, साथ ही बिजली के करेंट से मौतों का खतरा कम होगा. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2016 में बिहार में बिजली के करेंट से करीब 285 लोगों की मौत हुई थी. पहले जहां बिजली के कनेक्शन कम होते थे, बिजली आपूर्ति और खपत कम होती थी, लेकिन अब कनेक्शन बढ़ने के साथ-साथ बिजली की आपूर्ति और खपत भी बढ़ गयी.
इससे कई जगहों पर पुराने बिजली के तार उसका लोड सह नहीं पाते थे और उसके टूटकर गिरने का खतरा बना रहता था. यह खतरा आंधी-बारिश में भी रहता था. ऐसे में पुराने बिजली के तारों को बदलने का निर्णय लिया गया. ऊर्जा विभाग के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि राज्य में जर्जर तार को बदलने का लक्ष्य पूरा हो चुका है. इससे बिजली की निर्बाध आपूर्ति हो सकेगी. साथ ही करेंट से दुर्घटनाओं का खतरा टलेगा. इसका लाभ राज्य के लोगों को मिलेगा.
31 दिसंबर को खेती के लिए फीडर योजना की होगी शुरुआत
राज्य में 1312 कृषि फीडरों से किसानों को बिजली कनेक्शन देने की औपचारिक शुरुआत भी 31 दिसंबर, 2019 को होगी. किसानों को 75 पैसे प्रति यूनिट की दर से सिंचाई के लिए बिजली दी जायेगी. यह बिजली तय समय सीमा में एक बार में छह घंटे के लिए दी जायेगी. इससे सिंचाई करना आसान हो जायेगा. सिंचाई पर लागत भी कम आयेगी.
एक घंटे में बिजली से सिंचाई का खर्च जहां दो रुपये के आसपास आयेगा वहीं डीजल से सिंचाई का खर्च करीब 100 रुपये होगा.

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