पटना में पहली बार एलोपैथी की तरह आयुर्वेदिक तरीके से भी होगा इमरजेंसी में इलाज

साकिब पटना : अगले दो से तीन महीने में हजारों साल पुरानी व विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी आयुर्वेदिक चिकित्सा की तकनीक पोटली कल्प एक बार फिर से लौटेगी. अब एलोपैथी चिकित्सा की तरह इमरजेंसी में भी आयुर्वेदिक चिकित्सा से मरीजों का इलाज हो सकेगा. पटना के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज व अस्पताल में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2019 8:56 AM
साकिब
पटना : अगले दो से तीन महीने में हजारों साल पुरानी व विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी आयुर्वेदिक चिकित्सा की तकनीक पोटली कल्प एक बार फिर से लौटेगी. अब एलोपैथी चिकित्सा की तरह इमरजेंसी में भी आयुर्वेदिक चिकित्सा से मरीजों का इलाज हो सकेगा.
पटना के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज व अस्पताल में जल्द ही इलाज शुरू होगा. इसके लिए मेडिकल इमरजेंसी जैसी व्यवस्था भी की जायेगी. ताकि, गंभीर स्थिति में मरीजों को यहां लाकर इलाज कराया जा सके. कभी भगवान बुद्ध के समय इस तकनीक से मरीजों का इलाज होता था. प्राचीन नालंदा विवि के प्रसिद्ध कुलपति आचार्य नागार्जुन पोटली कल्प के ही विशेषज्ञ
माने जाते हैं. पोटली कल्प की दवाएं इतनी असरदार होती हैं कि गंभीर मरीज को भी 15 से 25 एमएल तक ही दी जाती हैं. आयुर्वेदिक कॉलेज व अस्पताल के प्राचार्य वैद्य दिनेश्वर प्रसाद कहते हैं कि पोटली कल्प आयुर्वेद की पुरानी व असरयुक्त तकनीक है, जो हमारे यहां से विलुप्त हो गयी थी. इसे हम पटना में वापस लाने जा रहे हैं. दो से तीन महीने में इससे इलाज होने लगेगा. यह आयुर्वेद के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. जिन मरीजों में सामान्य दवाएं काम नहीं कर पातीं, वहां पर पोटली कल्प काम करेगी.
भगवान बुद्ध के समय विकसित हुई थी पोटली कल्प
मान्यता है कि भगवान बुद्ध के समय सर्जरी पर रोक लगा दी गयी थी, तब आयुर्वेदिक चिकित्सा में इलाज की कुछ ऐसी तकनीक विकसित हुई थी, जो इमरजेंसी में मरीजों की जान बचाने में सक्षम थी. समय के साथ यह विलुप्त हो गयी. इसमें दवाओं को लंबी गोली जैसा बनाया जाता है और इसे घिस कर मरीज को दिया जाता है. प्राचीन समय में पटना के कुम्हरार में आरोग्य विहार नाम से अंतरराष्ट्रीय स्तर का आयुर्वेदिक अस्पताल हुआ करता था. उसकी पहचान पोटली कल्प चिकित्सा से भी थी.
विशेषज्ञ वैद्य की देखरेख में ही दी जाती है पोटली कल्प
वैद्य दिनेश्वर प्रसाद कहते हैं कि पोटली कल्प में दवाएं बेहद गुणकारी होती हैं. बेहद कम मात्रा ही मरीज के लिए काफी है. ऐसे में इसे मरीज को खिलाने में विशेष सावधानी की जरूरत होती है नहीं तो लाभ की जगह हानि हो सकती है. अभी सिर्फ महाराष्ट्र व कर्नाटक जैसे राज्यों में कुछ जगहों पर ही इससे इलाज होता है. ये दवाएं बाजार में नहीं मिलतीं, जो कंपनी बनाती है वह सिर्फ अस्पताल या वैद्य को ही आपूर्ति करती हैं. ताकि, उचित देखरेख में ही इसका सेवन हो. आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल में इसे शुरू करने से पहले वैद्यों की विशेष ट्रेनिंग होगी. ट्रेनिंग लेने व गहरा अध्ययन करने वाले वैद्य ही इससे इलाज कर सकते हैं.

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