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राज्य में पुराने बंदोबस्तधारी कर रहे बालू का खनन

पटना : राज्य में सरकार की मंजूरी के बाद पुराने बंदोबस्तधारी बालू खनन कर रहे हैं. उनकी बंदोबस्ती की समयसीमा 31 दिसंबर को खत्म हो गयी थी, लेकिन अब उनकी समयावधि अक्तूबर 2020 तक के लिए बढ़ गयी है. पुराने बंदोबस्तधारियों की बंदोबस्ती की समयसीमा बढ़ने से एक जनवरी से बालू खनन को लेकर गहराता […]

पटना : राज्य में सरकार की मंजूरी के बाद पुराने बंदोबस्तधारी बालू खनन कर रहे हैं. उनकी बंदोबस्ती की समयसीमा 31 दिसंबर को खत्म हो गयी थी, लेकिन अब उनकी समयावधि अक्तूबर 2020 तक के लिए बढ़ गयी है. पुराने बंदोबस्तधारियों की बंदोबस्ती की समयसीमा बढ़ने से एक जनवरी से बालू खनन को लेकर गहराता संकट खत्म हो गया है.

वहीं, सरकार अब नयी बालू नीति के तहत अक्तूबर 2020 के बाद नदी घाटों की बंदोबस्ती नये बंदोबस्तधारियों को सौंपने की प्रक्रिया में जुट गयी है. इसके तहत नयी फिलहाल 159 घाटों की बंदोबस्ती हो चुकी है. सूत्रों का कहना है कि नयी बालू नीति के तहत फिलहाल पहले चरण में 13 जिलों के 330 घाटों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया पांच साल के लिए चल रही है.
इनमें से 159 घाटों की बंदोबस्ती हो चुकी है. सभी घाटों की बंदोबस्ती पूरी होने के बाद दूसरे चरण के लिए भी अन्य जिलों के नदी घाटों की बंदोबस्ती होगी. सभी घाटों की बंदोबस्ती प्रक्रिया पूरी होने और इस पर पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने के बाद ही बंदोबस्तधारी बालू खनन कर सकेंगे. यह सारी प्रक्रिया अक्तूबर 2020 तक पूरी होने की संभावना है.
नयी बालू नीति में बढ़ेगी इकाइयों की संख्या
नयी बालू नीति के तहत बंदोबस्ती के इच्छुक लोगों या फर्म को अधिकतम दो बालू घाटों या दो सौ हेक्टेयर में से जो कम होगा उसकी बंदोबस्ती दी जायेगी. हालांकि, खान एवं भूतत्व विभाग ने करीब 330 नदी घाटों का माइनिंग प्लान तैयार कर पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए सक्षम प्राधिकार सिया को भेज दिया है. इस नीति से नदी घाटों के बंदोबस्तधारियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और बालू व्यवसाय से एकाधिकार समाप्त होगा.

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