पटना : कल से शुरू होगी स्वच्छता की परीक्षा, आ रही है केंद्र की टीम
4500 अंकों की जांच होनी बाकी पटना : स्वच्छता सर्वेक्षण के पहले और दूसरे तिमाही में राज्य के शहरों की खराब रैंकिंग के बाद अब मार्च के बाद आने वाले सर्वेक्षण की फाइनल रिपोर्ट पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. फिलहाल कुल छह हजार के अंक में अभी 4500 अंक की जांच होनी बाकी है. […]
4500 अंकों की जांच होनी बाकी
पटना : स्वच्छता सर्वेक्षण के पहले और दूसरे तिमाही में राज्य के शहरों की खराब रैंकिंग के बाद अब मार्च के बाद आने वाले सर्वेक्षण की फाइनल रिपोर्ट पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. फिलहाल कुल छह हजार के अंक में अभी 4500 अंक की जांच होनी बाकी है. सिटीजन फीडबैक के लिए 1500, डाइरेक्ट आॅब्जर्वेशन में 1500, ओडीएफ प्लस और ओडीएफ प्लस प्लस के लिए 1500 अंक की जांच होनी बाकी है. नगर विकास व आवास विभाग की मानें तो एक बार फिर चार जनवरी से सर्वेक्षण के लिए अभियान की शुरुआत होने वाली है. 4 जनवरी के बाद 31 जनवरी तक कभी भी केंद्र के अधिकारी डाइरेक्ट आब्जर्वेशन के लिए राज्य के नगर निकायों का निरीक्षण कर सकते हैं.
लांच होगा एप, 1000 लोगों को आयेगा फोन : स्वच्छता सर्वेक्षण में सिटीजन फीडबैक के लिए चार जनवरी से ही वोट फॉर स्वच्छता नाम के एप लांच किया जायेगा. इस पर आम लोगों को फीडबैक देने के लिए विभिन्न माध्यमों से अपील की जायेगी. केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार एप पर कम से कम शहरी निकाय के जनसंख्या के एक फीसदी लोगों का फीडबैक जरूरी होगा, तभी शहर को 1500 अंक की मार्किंग मिल पायेगी. एप के अलावा केंद्र के मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अफेयर के स्वच्छता सर्वेक्षण शाखा की ओर ने शहर के 1000 लोगों को सीधे फोन कर शहर के स्वच्छता हालात के बारे में जानकारी ली जायेगी. इसके अलावा टीम शहर में आकर दुकान, अपार्टमेंट क्षेत्र के लोगों का वीडियो बाइट भी लेगी. तब जाकर शहर को 1500 अंक मिल पायेगा.
1500 अंकों में नहीं हुआ काम
भले ही अभी 4500 अंक
के लिए जांच व निरीक्षण होना बाकी है, लेकिन राज्य का नगर विकास व आवास विभाग भी मान रहा है कि राज्य के 141 शहरी निकायों में 1500 अंक के लिए काम हुआ ही नहीं है. गाइड लाइन के अनुसार मंत्रालय की ओर से तय ओडीएफ प्लस और ओडीएफ प्लस प्लस के पैमाने पर कोई काम नहीं हुआ है. ऐसे में राज्य के निकायों को छह हजार में 1500 अंक तो पहले ही नहीं मिलेंगे.
टॉप 100 में नहीं आये बिहार के शहर
देश में अब तक कुल चारसर्वे हो चुके हैं. यह पांचवांसर्वे चल रहा है. अब तकबिहार का कोई शहर टॉप 100 में नहीं आया है. इस बार6000 अंक का सर्वे हो रहा है. पिछली बार मुंगेर को 271, जमालपुर को 280, किशनगंज को 305 और पटना को 318 अंक मिले थे.
ठोस कचरा प्रबंधन नहीं हुआ बेहतर
सभी शहरों में अलग-अलग कचरा प्रबंधन का अलग-अलग मॉडल भी अब तक सफल नहीं हो पाया है. विभाग के अनुसार सूबे के 48 शहरों में ठोस कचरा प्रबंधन की तैयारी कर ली गयी है. इसमें अधिकांश में कचरे से खाद बनाने का काम होना है. जबकि 19 नगर निकायों में इसकी शुरुआत तक कर दी गयी है.
अब तक निगम की तैयारी शून्य
पटना. स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 को लेकर केंद्रीय टीम व्यक्तिगत निरीक्षण को लेकर पहुंचने वाली है. पर, निगम की तैयारी शून्य है. स्थिति यह है कि शहर में न तो पब्लिक टॉयलेट्स में लगा ताला खुला है और न गीले-सूखे कचरे को अलग किया जा रहा है.
डॉक्यूमेंटेशन में भी पिछड़ रहा निगम
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन
ठोस कचरा प्रबंधन के तहत डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, गीला-सूखा कचरा अलग-अलग करना, डस्टबीन फ्री करना, कचरे का रिसाइकलिंग और ट्रांसपोर्टेशन आदि कार्य करना है. लेकिन, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व ट्रांसपोर्टेशन का ही काम पूरा किया गया है. डस्टबीन फ्री को लेकर सिर्फ मुख्य सड़कों से ही हटाया गया है और मुहल्लों में अब भी डस्टबीन दिख रहा है.
रिस्पांस भी ठीक नहीं
शहर में रहने वाले लोग नागरिक सुविधाओं से संबंधित शिकायतें करते है, तो निर्धारित समय-सीमा में समाधान करना है. इसको लेकर टॉल फ्री नंबर जारी की गयी है और सिटी ऑफ पटना मोबाइल एप भी लांच किया गया है, जिससे लोग शिकायत करते हैं. लेकिन, शिकायतों के निदान समय से नहीं किया जा रहा है. जागरूकता अभियान भी चलाना है, जो अब तक शुरू नहीं किया गया है.