पटना: पटना उच्च न्यायालय ने भागलपुर दंगा के आरोपित विजय महतो को बुधवार को बरी कर दिया. विजय महतो को भागलपुर की जिला अदालत ने 1991 में आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी.
न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह और जितेंद्र मोहन शर्मा के खंडपीठ ने कहा कि मुआवजा लेने के लिए विजय महतो को आरोपित बनाया गया था. गवाहों की अनुपस्थिति और घटना के 12 दिन बाद प्राथमिकी दर्ज कराने को आधार बताते हुए कोर्ट ने विजय महतो को रिहा करने का आदेश दिया.
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने यह टिप्पणी भी कि भागलपुर दंगा के कई पीड़ित अनुकंपा के आधार पर नौकरी कर रहे हैं. कुछ लोगों ने इसका गलत लाभ लिया है. विजय महतो के खिलाफ स्थानीय मुखिया की सिफारिश पर घटना के 12 दिन बाद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. 29 अक्तूबर, 1989 को घटना हुई थी और 11 नवंबर को विजय महतो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. 10 अक्तूबर, 1991 को भागलपुर जिला अदालत ने विजय महतो को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. विजय महतो ने इसके खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में अपील याचिका दायर की थी. जिस मुखिया की सिफारिश पर विजय महतो के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी, वह भी बाद में गवाही से मुकर गया. दूसरे गवाह भी होस्टाइल हो गये.