पटना : पीएमसीएच आइबैंक में नहीं है एक भी कॉर्निया

साकिब नेत्रदान से परहेज करते हैं बिहार के लोग, आइबैंक को नहीं मिल रही है काॅर्निया पटना : पीएमसीएच के आइबैंक में फिलहाल एक भी कॉर्निया नहीं है. यहां आइबैंक की स्थापना के बाद 13 अगस्त, 2018 को पहली बार कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया था. तब से अब तक 41 ट्रांसप्लांट ही हो पाये हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 4, 2020 9:17 AM
साकिब
नेत्रदान से परहेज करते हैं बिहार के लोग, आइबैंक को नहीं मिल रही है काॅर्निया
पटना : पीएमसीएच के आइबैंक में फिलहाल एक भी कॉर्निया नहीं है. यहां आइबैंक की स्थापना के बाद 13 अगस्त, 2018 को पहली बार कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया था. तब से अब तक 41 ट्रांसप्लांट ही हो पाये हैं. जागरूकता की कमी से पर्याप्त मात्रा में नेत्रदान नहीं होने से कॉर्निया नहीं आ पा रही है. इस आइबैंक में जो कॉर्निया अब तक आये हैं, वे हॉस्पिटल कॉर्निया रिट्रीवेल प्रोग्राम के तहत आये हैं. इसमें भी करीब 20-21 मृतकों के परिजनों ने ही अब तक डोनेट किया है. मृतक की दोनों कॉर्निया से दो नेत्रहीन लोगों की जिंदगी रोशन की जाती है. अभी तक पीएमसीएच से बाहर मरने वाले किसी व्यक्ति के परिजनों ने नेत्रदान नहीं किया है.
पीएमसीएच में होता है कॉर्निया का नि:शुल्क ट्रांसप्लांट
पीएमसीएच में कॉर्नियां का ट्रांसप्लांट पूरी तरह से नि:शुल्क होता है. डोनेशन के बाद आइबैंक में ज्यादा से ज्यादा 14 दिन तक ही कॉर्निया काे रखा जाता है. कॉर्निया मृत्यु के छह घंटे के भीतर ही निकाली जाती है. पीएमसीएच नेत्र रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सोनी सिन्हा कहती हैं कि अब भी समाज में नेत्रदान को लेकर जागरूकता की भारी कमी है. डॉ सोनी बताती हैं कि हमारे यहां ही कई ऐसे मरीजों को कार्निया लगायी गयी हैं जो पहले बिल्कुल भी नहीं देख पाते थे लेकिन अब उनकी आंखों में दुबारा से रोशनी आ गयी है और वह सामान्य मनुष्यों की तरह जिंदगी जी रहे हैं.
आइजीआइएमएस में अब तक हो चुके हैं करीब 450 ट्रांसप्लांट
आइजीआइएमएस के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान में अक्तूबर 2014 से कार्निया ट्रांसप्लांट हो रहा है. यहां अब तक करीब 450 कार्निया ट्रांसप्लांट हो चुके हैं. राज्य में जरूरतमंद मरीजों की संख्या को देखते हुए यह संख्या भी बहुत कम है. आइजीआइएमएस में भी हॉस्पिटल कार्निया रिट्रीवेल प्रोग्राम से 70 से 80 प्रतिशत तक कॉर्निया डोनेशन में मिली है. जबकि स्वैच्छिक नेत्रदान का प्रतिशत मात्र 20 से 30 प्रतिशत ही है. वहीं इस आइबैंक में भी चंद कॉर्निया ही वर्तमान में है.

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