पटना : सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण तथा कुछ अन्य मांगों को लेकर श्रमिक संगठनों के आह्वान पर बुधवार को आयोजित राष्ट्रव्यापी बंद का बिहार में मिलाजुला असर रहा. राजधानी पटना की सड़कों से ऑटोरिक्शा गायब रहे, जिससे लोगों को परेशानी हुई. पटना ऑटो मेंस एसोशियेसन के अध्यक्ष अजय पटेल ने कहा “हम केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत हड़ताल के समर्थन में हैं. हम राज्य सरकार द्वारा डीजल वाहनों पर लगाये गये प्रतिबंध को तुरंत हटाने की विभिन्न संगठनों की मांग का समर्थन करते हैं.”
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने सीएनजी रूपांतरण के लिए वाहन मालिकों को सब्सिडी प्रदान करते हुए इस साल 31 जनवरी से बढ़ते प्रदूषण के उपाय के तौर पर डीजल से चलने वाले ऑटोरिक्शा पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के महासचिव राज कुमार झा ने कहा कि हड़ताल के समर्थन में केवल ऑटोरिक्शा संघ ही नहीं बल्कि बसों, ट्रकों, लॉरी के अलावा गैरेज में काम करने वाले भी शामिल हैं.
श्रमिक संगठनों के बंद के समर्थन में प्रदेश की राजधानी पटना सहित राज्य के अन्य भागों में भाकपा, माकपा और भाकपा माले तथा ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन्स एसोसिएशन के समर्थकों ने मार्च निकाला. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने भी श्रम संहिता का विरोध करते हुए नौकरियों को नियमित करने और वेतन वृद्धि की मांग करते हुए प्रदर्शन किया. बंदी के दौरान राज्य भर में कहीं से भी हिंसा या संघर्ष की कोई घटना सामने नहीं आयी.