रघुवंश की चिट्ठी से बढ़ी RJD की मुश्किलें, लालू को पत्र लिख कर जगदानंद के कामकाज पर उठाया सवाल

पटना :बिहारविधानसभा चुनाव के करीब आने के साथही राजद के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव केबेहद करीबी माने जाने वाले रघुवंश प्रसादसिंह की चिट्ठी सेसूबेमें सियासीभूचाल मच गया है. पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को लिखे अपने पत्र में राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2020 3:59 PM

पटना :बिहारविधानसभा चुनाव के करीब आने के साथही राजद के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव केबेहद करीबी माने जाने वाले रघुवंश प्रसादसिंह की चिट्ठी सेसूबेमें सियासीभूचाल मच गया है. पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को लिखे अपने पत्र में राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया हैं.साथ ही उन्होंने इशारों में सदन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर भी हमला बोला है.

वहीं, जगदानंद सिंह ने रघुवंश प्रसाद के पत्र को तवज्जो नहीं देतेहुए कहा कि पार्टी में ऐसे पत्र आते रहते है. यह पार्टी का अंदरूनी मामला है. रघुवंश प्रसाद ने अपने पत्र मेंसवालउठाते हुए लिखा है कि पार्टी में किसी मुद्दे पर विमर्श क्यों नहीं होता है. उन्होंने कहा कि विरोधीदल लगातार प्रेसवार्ता कर राजद पर हमला बोल रहे है. रघुवंश प्रसाद सिंह के इस पत्र को लेकर पार्टी में सियासी घमासान मचा हुआ है. चर्चा है कि राजद के कई विधायक रघुवंश प्रसाद के समर्थन में है, लेकिन वे खुलकर सामने आने से बचना चाहते है.

लालू प्रसाद को लिखेगये चिट्ठी को लेकरराजद में मचेसियायीघमासानके बीच स्थानीयन्यूजचैनल से बातचीत में रघुवंश प्रसाद ने कहा कि पार्टी और संगठन है तो हम हैं. हमने जो चिट्ठी लिखी है उसमें कोई गलती नहीं है. हम जयकारा टीम के सदस्य नहीं हो सकते है. मेरे सुझावों पर लालू जरूर एक्शन लेंगे. उधर, चिट्ठी पर राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने सफाई देते हुए कहा कि रघुवंश प्रसाद और जगदानंद पार्टी के बड़े नेता है और पार्टी की बेहतरी के लिएकाम कर रहे है. सभी मिलकर 2020 में तेजस्वी को सीएम बनायेंगे.

उधर,रघुवंश प्रसाद की चिट्ठी परजारी सियासीबवालपर भाजपा नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि पार्टी में कमजोर नेतृत्व के कारण ऐसे झगड़े होते है और राजद के लिए यह कोई नयी बात नहीं है. स्वार्थ के कारण कांग्रेस, हम जैसी पार्टी राजद को नकार रहे है.

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