विधानमंडल का विशेष सत्र : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा- देश में एनआरसी का औचित्य नहीं सीएए पर चर्चा को तैयार

बिहार में एनआरसी का सवाल ही नहीं पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर कहा है कि बिहार में एनआरसी नेशनल रजिस्टर आॅफ सिटीजन (एनसीआर) की जरूरत नहीं है. उन्होंने दो टूक कहा कि एनआरसी की बात सिर्फ असम के संदर्भ में थी. देश के संदर्भ में इसका कोई औचित्य नहीं है. इसको […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2020 6:18 AM
बिहार में एनआरसी का सवाल ही नहीं
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर कहा है कि बिहार में एनआरसी नेशनल रजिस्टर आॅफ सिटीजन (एनसीआर) की जरूरत नहीं है. उन्होंने दो टूक कहा कि एनआरसी की बात सिर्फ असम के संदर्भ में थी.
देश के संदर्भ में इसका कोई औचित्य नहीं है. इसको लेकर अभी कोई चर्चा नहीं है. जहां तक नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का सवाल है, तो उस पर कानून बन जाने के बाद वाद-विवाद की कोई जरूरत नहीं रह गयी है. सोमवार को विधानमंडल के एक दिन के विशेष सत्र में विधानसभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि विपक्ष सीएए पर चर्चा करना चाहता है, तो हम तैयार हैं.
विपक्ष चाहे तो अगले विधानमंडल सत्र में इस पर चर्चा करवा सकता है. सरकार इन विषयों पर चर्चा कराने से कभी पीछे नहीं हटी है. मुख्यमंत्री ने कहा, एनआरसी की चर्चा तो सबसे पहले केंद्र में राजीव गांधी की सरकार ने असम के लोगों के लिए की थी. प्रधानमंत्री ने भी इस विषय पर स्पष्ट कर दिया है.
विशेष सत्र के दौरान एसटी-एससी लोगों के लिए लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण को लेकर लाये गये राजकीय संकल्प पर विधानमंडल के दोनों सदनों में संविधान के 126वें संशोधन विधेयक 2019 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया. इस विधेयक को 10 वर्षों के लिए विस्तारित करते हुए 2030 तक बढ़ा दिया गया है.
अभी सारा ध्यान जल-जीवन-हरियाली पर : मुख्यमंत्री ने कहा कि इन दिनों सीएए और एनआरसी को लेकर जितने बड़े पैमाने पर चर्चा चल रही है, इस पर हम विस्तार से अपनी बात रखेंगे. नीतीश ने कहा कि वे फिलहाल सभी की सहमति से वह जल-जीवन- हरियाली पर फोकस होकर काम कर रहे है. जनमत को जागृत करने के लिए 19 जनवरी को मानव शृंखला बनेगी.
सीएम बोले, सारा ध्यान जल-जीवन-हरियाली अभियान पर
एक बार अवश्य जातिगत जनगणना होनी चाहिए
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि एक बार जातिगत जनगणना जरूर होनी चाहिए. 1930 के बाद यह कभी नहीं हुई. 2010 में इसकी मांग उठी थी.
इसे देखते हुए जनगणना के बाद अलग से जातिगत जनगणना करायी गयी थी. लेकिन उसमें अलग-अलग जातियों की जनसंख्या के बारे में पूरी बातें नहीं पायी थीं. अब जो जनगणना हो तो एक बार और जातीय आधारित जनगणना हो ही जानी चाहिए. अभी तो जनगणना में विभिन्न धर्माें को माननेवाले लोगों की गिनती हो जाती है.
अतिक्रमण हटाने से पीड़ित गरीबों को बसाया जायेगा
माले के सत्यनारायण राम के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि जल-जीवन-हरियाली अभियान में तालाब, पोखर व अन्य जलस्रोतों पर बसे गरीब या अनुसूचित जाति के लोगों को बसाया जायेगा. कहा कि इसके लिए निर्देश दिया जा चुका है.
एससी-एसटी आरक्षण बिल सर्वसम्मति से पारित
पटना : बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में एससी-एसटी के लोगों को लोकसभा व विधानसभा में आरक्षण की समयसीमा 10 साल बढ़ाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया. सोमवार को एक दिन के विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों में संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने इस आशय का प्रस्ताव पेश किया.

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