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चंपारण यात्रा : बापू को लेकर एनसीइआरटी पढ़ा रहा गलत तथ्य, जानें पूरा मामला

मिथिलेश -चंपारण यात्रा l 12वीं की अंग्रेजी की किताब फ्लेमिंगो के ‘इंडिगो’ चैप्टर में कई गलत जानकारियां पटना: जिस चंपारण से महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था, उस चंपारण आंदोलन को लेकर एनसीइआरटी देश भर के छात्रों को गांधी से जुड़े कुछ गलत तथ्य लंबे समय से पढ़ा रहा है. 12वीं कक्षा […]

मिथिलेश
-चंपारण यात्रा l 12वीं की अंग्रेजी की किताब फ्लेमिंगो के ‘इंडिगो’ चैप्टर में कई गलत जानकारियां
पटना: जिस चंपारण से महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था, उस चंपारण आंदोलन को लेकर एनसीइआरटी देश भर के छात्रों को गांधी से जुड़े कुछ गलत तथ्य लंबे समय से पढ़ा रहा है. 12वीं कक्षा में पढ़ायी जा रही अंग्रेजी की पुस्तक फ्लेमिंगो के ‘इंडिगो’ चैप्टर’ में गांधी के चंपारण आंदोलन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य दिये गये हैं, जो सही नहीं हैं. मसलन, इसमें लिखा गया है कि महात्मा गांधी 15 अप्रैल, 1917 की आधी रात को मुजफ्फरपुर पहुंचे थे, जबकि डॉ राजेंद्र प्रसाद की आत्मकथा समेत गांधी पर लिखी गयी सारी पुस्तकों में उनके 10 अप्रैल को पटना पहुंचने और उसी दिन देर रात मुजफ्फरपुर पहुंचने की बात कही गयी है.

खुद गांधी की आत्मकथा में भी इस तिथि का ही जिक्र है. एनसीइआरटी की पाठ्यपुस्तक में गांधी के चंपारण जाने के क्रम में पटना आगमन, उनके मुजफ्फरपुर पहुंचने और मोतिहारी जाकर निलहे किसानों से मिलने, कोर्ट की कार्रवाई आदि जैसे महत्वपूर्ण तिथियों और घटनाओं को सतही तरीके से परोसा गया है. महात्मा गांधी के साथ चंपारण आंदोलन में आरंभिक दिनों से साथ रहे डॉ राजेंद्र प्रसाद की चर्चित पुस्तक ‘चंपारण में महात्मा गांधी’ के पेज 80-81 में उन्होंने लिखा है कि 10 अप्रैल, 1917 को जब महात्मा गांधी पटना आये और उनके डेरे पर गये, लेकिन वह पटना से बाहर थे. फिर गांधी के पटना आने की खबर मौलाना मजहरूल हक को मिली तो वह उन्हें अपने घर ले गये. उसी दिन शाम गांधी मुजफ्फरपुर रवाना हो गये. रात एक बजे वह मुजफ्फरपुर स्टेशन पहुंचे, जहां उन्हें जेबी कृपलानी आदि ने स्वागत किया.

डॉ राजेंद्र प्रसाद की पुस्तक के अनुसार गांधी 15 अप्रैल को मुजफ्फरपुर से मोतिहारी के लिए रवाना हुए और दोपहर बाद तीन बजे वह मोतिहारी पहुंचे, जबकि विदेशी लेखक के हवाले एनसीइआरटी की पुस्तक में गांधी के 15 अप्रैल को मुजफ्फरपुर पहुंचने की तिथि लिखी गयी है. लेखक अंग्रेज लुइस फिश्चर ब्रिटिश आर्मी में 1918 से 1920 तक एक वाेलेंटियर के रूप में कार्यरत थे.
लुइस फिश्चर ने लिखा है कि गांधी जी पटना से जब मुजफ्फरपुर पहुंचे, तो वह प्रो मलकानी के आवास पर दो दिन ठहरे. लेकिन, डाॅ राजेंद्र प्रसाद की किताब में लिखा है कि मुजफ्फरपुर पहुंचने के बाद गांधी प्रो जेबी कृपलानी के छात्र निवास में ठहरे. पुस्तक में लिखा गया है कि गांधी ने चंपारण में छह स्कूलों का निर्माण करवाया, जबकि सही तथ्य यह है कि गांधी ने बड़हरवा लखनसेन, भितिहरवा और मधुबन में विद्यालय सह आश्रमों की स्थापना की थी. वह छह जगहों पर ऐसा विद्यालय खोलना चाहते थे, लेकिन बीच में ही उन्हें गुजरात जाना पड़ा.

इंडिगो के पेज नंबर 46 पर लिखा है कि गांधी को चंपारण लाने वाले राजकुमार शुक्ल अनपढ़ थे. लेकिन, लुइस का यह तथ्य भी सही नहीं है. उन दिनों कैथी लिपि का चलन था. पढ़ाई भी इसी लिपि में ही होती थी. राजकुमार शुक्ल प्रतिदिन अपनी डायरी लिखते थे. उन्होंने अपनी डायरी लिखी है, जो कैथी लिपि में ही है. गांधी को लेकर कई शोध करने वाले भैरव लाल दास ने शुक्ल की डायरी का हिंदी में अनुवाद किया है. यदि शुक्ल अनपढ़ होते तो वह कैथी लिपि में डायरी नहीं लिख पाते.

इस किताब के पेज संख्या 48 में गांधी को एडवोकेट आॅफ होमरूल कहा गया है, जबकि वास्तविकता यह है कि गाधी जी उस समय होमरूल के एडवोकेट की भूमिका में नहीं थे. यह अनावश्यक तथ्य है. होमरूल को डाॅ एनीबेसेंट लीड कर रही थीं. गांधी जी ने कार्यकर्ताओं से कहा कि आप लोग जो काम कर रहे हैं, वही वस्तुत: होमरूल का उद्देश्य है. पेज संख्या 49 में लिखा गया है कि गांधी जी ब्रिटिश लैंडलार्ड एसोसिएशन के सचिव से मिले, जबकि सही तथ्य यह है कि गांधी जी इंडिगो प्लानटर्स एसोसिएशन के सचिव विल्सन मिले.

कोर्ट ने 18 अप्रैल को कहा कि हम 21 को इस मामले में फैसला सुनायेंगे, तब तक आप जमानत ले लिजिए. लेकिन, गांधी जी ने जमानत लेने से इन्कार कर दिया. अंत में कोर्ट ने इसी दिन तीन बजे से पहले ही खुद मुचलका लेकर उन्हें घर जाने को कहा. लेकिन, इंडिगो चैप्टर में लेखक ने लिखा है कि गांधी का पक्ष जानने के बाद कोर्ट ने कहा कि वह दो घंटे बाद इस मामले को सुनेंगे, तब तक आप 120 मिनट के लिए जमानत ले लीजिए, जिससे गांधी ने इन्कार कर दिया.
सीबीएसइ व एनसीइआरटी को गलत तथ्यों की जानकारी दी है : भैरव
गांधी मामलों के जानकार भैरव लाल दास ने बताया कि मैंने सीबीएसइ और एनसीइआरटी दोनों को इस पुस्तक में प्रकाशित गलत तथ्यों को लेकर जानकारी दी है. गांधी से जुड़े गलत तथ्यों को 12वीं के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. बच्चों के अबोध मन में एक बार जो चीजें बैठ जायेंगी, उससे बाहर निकलना मुश्किल होगा. गांधी ने अपनी आत्मकथा में भी चंपारण आंदोलन का जिक्र किया है. अच्छा होता कि उनकी जीवनी या डॉ राजेंद्र प्रसाद की पुस्तक ‘चंपारण में गांधी’ से ही तथ्य लेकर किताब में पढ़ाया जाता तो बच्चे गांधी से जुड़े सही तथ्य से अवगत हो पाते.
ऐसी-ऐसी गलतियां
गांधी 1917 में 15 अप्रैल की आधी रात को मुजफ्फरपुर पहुंचे थे, जबकि वह 10 अप्रैल की ही रात में वहां पहुंचे थे.
मुजफ्फरपुर पहुंचने पर गांधी प्रो मलकानी के आवास पर दो दिन ठहरे थे, जबकि वह प्रो जेबी कृपलानी के छात्र निवास में ठहरे थे.
गांधी ने चंपारण में छह स्कूलों का निर्माण करवाया था, जबकि उन्होंने बड़हरवा लखनसेन, भितिहरवा और मधुबन में ही विद्यालय सह आश्रमों की स्थापना की थी.
गांधी को चंपारण लाने वाले राजकुमार शुक्ल अनपढ़ थे, जबकि राजकुमार शुक्ल ने कैथी लिपि में अपनी डायरी लिखी है.
गांधी ब्रिटिश लैंडलार्ड एसोसिएशन के सचिव से मिले थे, जबकि वह इंडिगो प्लानटर्स एसोसिएशन के सचिव से मिले थे.

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