पटना : भाकपा ने शनिवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीडीपी को पांच हजार अरब डॉलर तक ले जाने के लंबे दावों के बावजूद देश में बढती बेरोजगारी और रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था में गहरे संकट का संकेत देती है. पटना में शनिवार को भाकपा महासचिव डी राजा ने मोदी सरकार पर विनिर्माण और कृषि क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले संकट से बेखबर होने और आम लोगों के बजाय बड़े व्यापारिक घरानों के हितों को साधने में लगे होने का आरोप लगाया.
राजा ने आरोप लगाया कि देश में बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है. एक अध्ययन के अनुसार, देश में आत्महत्या करने वाले युवाओं की संख्या कर्ज में डूबे किसानों की संख्या की तुलना में अधिक है. सभी क्षेत्रों विनिर्माण, कृषि और सेवाओं को गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी केवल बड़े व्यापारिक घरानों एवं कॉरपोरेट्स को ही धन सृजन करने वाला मानते हैं, इसलिए उनकी सरकार केवल इन कॉर्पोरेट्स की मदद करने के लिए समर्पित दिख रही है. इसे आम लोगों की परवाह नहीं है इसलिए इसने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को खत्म करने अथवा उनके निजीकरण का विनाशकारी कदम उठाया है.
उन्होंने कहा कि रेलवे सार्वजनिक संपत्ति है, जिसे मोदी निजी क्षेत्र को सौंपना चाहते हैं. उन्होंने रक्षा जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को भी आमंत्रित करना शुरू कर दिया है. जब लोग इन नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं, तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं है. इसलिए, भाजपा-आरएसएस ने जनता का ध्यान इन मुद्दों से हटाने के लिए विभाजनकारी मुद्दों को उठाना शुरू कर दिया है और सीएए उनकी इसी साजिश का हिस्सा है.
डी राजा ने कहा कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह पूछना चाहते हैं कि देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर उनका क्या रुख है? अन्य राज्यों में उनके कई समकक्षों ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है, लेकिन हमने अभी तक उनसे इस बारे में कुछ नहीं सुना है. नीतीश, हालांकि, पूरे देश में एनआरसी के पक्ष में नहीं हैं पर उनकी पार्टी जदयू ने संसद में सीएए का समर्थन किया है, जबकि एनपीआर जिसे सीसीए और एनआरसी की दिशा में पहला कदम बताया जा रहा है, के लिए बिहार सरकार अधिसूचना जारी कर चुकी है.