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रिटायरमेंट की उम्र सीमा नहीं बढ़ी, तो पटना विवि में एक साल के अंदर 30 फीसदी शिक्षक ही बचेंगे

अमित कुमार पटना : विश्वविद्यालय के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा नहीं बढ़ी, तो अगले एक साल में पटना विश्वविद्यालय में सिर्फ 30 प्रतिशत शिक्षक बचेंगे. राज्य के दूसरे विश्वविद्यालयों में इससे भी खराब स्थिति है. शिक्षकों की उम्र सीमा बढ़ाने को लेकर शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग में कई बार ज्ञापन दिया है, […]

अमित कुमार
पटना : विश्वविद्यालय के शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा नहीं बढ़ी, तो अगले एक साल में पटना विश्वविद्यालय में सिर्फ 30 प्रतिशत शिक्षक बचेंगे. राज्य के दूसरे विश्वविद्यालयों में इससे भी खराब स्थिति है. शिक्षकों की उम्र सीमा बढ़ाने को लेकर शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग में कई बार ज्ञापन दिया है, लेकिन उस पर अब तक विचार नहीं हुआ है.
शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 65 वर्ष है, जिसे 67 वर्ष करने की मांग की जा रही है, ताकि नयी नियुक्ति होने तक विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी न हो. टेक्निकल हायर एजुकेशन में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 67 वर्ष है, वहीं कुलपति की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 70 वर्ष है. विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिटायरमेंट के अनुपात में नियुक्तियां नहीं हो रही हैं. 2014 में जो विज्ञापन निकला था, उसमें भी 30 प्रतिशत शिक्षकों की नियुक्ति अभी बाकी है. पिछले वर्षों में जितने शिक्षक नियुक्त नहीं हुए हैं, उनसे अधिक रिटायर हो चुके हैं. वहीं, नयी वेकेंसी अब तक नहीं आयी है.
प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नहीं हो रही नियुक्ति
वर्तमान में सिर्फ असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति होनी है, जबकि आधे से अधिक सीटों की संख्या प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर की है. इसमें सीधी नियुक्ति सरकार को करनी है. प्रोमोशन से ये सीटें नहीं भरी जा सकती हैं. प्रोमोटेड प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर रिटायर भी होते हैं तो सीट असिस्टेंट प्रोफेसर की ही खाली होती है, क्योंकि उनकी नियुक्ति एक समय असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में ही हुई थी. इन सीटों पर कोई भी असिस्टेंट प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर, जो कहीं अन्य जगहों पर काम कर रहे हैं, वे इंटरव्यू के जरिये नियुक्त होते हैं.
एडहॉक व गेस्ट फैकल्टी के सहारे चल रहा काम
वर्तमान में पीयू में एडहॉक व गेस्ट फैकल्टी से काम चल रहा है. कहीं-कहीं तो रिसर्च स्काॅलरों से काम चल रहा है. इस वजह से छात्रों को क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पा रहा है. छात्र, कॉलेज, विश्वविद्यालय सभी इस वजह से काफी परेशान रहते हैं. लेकिन इस दिशा में कुछ भी नहीं हो रहा है.
1967 के बाद नये पद स्वीकृत नहीं : पीयू में 1967 के बाद पद स्वीकृत नहीं हुए हैं. उस समय नौ हजार छात्र पीयू में थे और शिक्षकों की सीटें 925 थीं. इंटर की पढ़ाई पीयू से हटने के बाद 155 शिक्षकों के पद समाप्त हो गये. अब 810 सीटें ही बची हैं. इनमें से सिर्फ 305 शिक्षक वर्तमान में हैं, जबकि अभी 22,000 हजार छात्र पीयू में पढ़ रहे हैं. यूजीसी के नियमानुसार 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना जरूरी है.
सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा बढ़ाने के लिए कई बार मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री कई समारोहों में घोषणा करते रहे हैं. लेकिन, इस दिशा में कुछ नहीं हो रहा है. आने वाले समय में विवि में शिक्षकों की भारी कमी हो जायेगी.
-प्रो रणधीर कुमार सिंह, अध्यक्ष, पटना विवि शिक्षक संघ
एक शिक्षकों पर तीन शिक्षकों का भार है. इसके अतिरिक्त भी कई काम हैं. अगर जल्द इस दिशा में कुछ नहीं हुआ, तो आगे चलकर काफी परेशानी हो जायेगी.
-प्रो अभय कुमार, महासचिव, पटना विवि शिक्षक संघ

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