‘कास्ट एज सोशल कैपिटल’ पर परिचर्चा में डिप्टी सीएम ने कहा – प्रयास के बाद भी जाति व्यवस्था नहीं हुई समाप्त

पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि जाति व्यवस्था अव्यवस्था का शिकार हो गयी है. इसको फ्रेंडली बनाने की जरूरत है. बिहार विधानमंडल की ओर से जातीय गणना के लिए प्रस्ताव पारित किया है, मगर यह चुनौतीपूर्ण कार्य है.मोदी शनिवार को इंडिका, पटना की ओर से आइआइएम, बेंगलुरु के पूर्व प्राध्यापक आर. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2020 6:37 AM

पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि जाति व्यवस्था अव्यवस्था का शिकार हो गयी है. इसको फ्रेंडली बनाने की जरूरत है. बिहार विधानमंडल की ओर से जातीय गणना के लिए प्रस्ताव पारित किया है, मगर यह चुनौतीपूर्ण कार्य है.मोदी शनिवार को इंडिका, पटना की ओर से आइआइएम, बेंगलुरु के पूर्व प्राध्यापक आर. वैद्यानाथन की पुस्तक ‘कास्ट एज सोशल कैपिटल’ पर आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि 2011 से 13 के बीच हुई सामाजिक- आर्थिक जातीय जनगणना में 46 लाख जातियां दर्ज की गयी थीं.

इनमें आठ करोड़ कमी मिली. 6.70 करोड़ के परिमार्जन के बाद भी 1.40 करोड़ खामियां के कारण प्रकाशन नहीं हो सका. सैकड़ों वर्षों के प्रयास के बावजूद जाति व्यवस्था को समाप्त करने में सफलता नहीं मिली है.
बैलेट पेपर के दौर में लालू ने दिखाया लाठी में तेल पिलाने का रास्ता : मोदी
पटना. डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने बैलेट पेपर से चुनाव की मांग करने वालों पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि जब बैलेट पेपर से चुनाव होते थे, तब लालू प्रसाद ने शिक्षा और रोजगार की जगह लाठी में तेल पिलाने का रास्ता दिखाया था.
लालू के बताये इस रास्ते पर चलने वाले लोग ही बूथ लूटते थे. दूसरे दलों के समर्थकों को वोट डालने नहीं देते थे. इस तरह हासिल जीत को ‘लालू का जिन्न ’ बताते थे. मोदी ने कहा कि जब से इवीएम से मतदान की व्यवस्था हुई है तब से जिन्न निकलना बंद हो गया है. इसी कारण राजद इवीएम का विरोध करता है.
हारने पर चुनाव आयोग की पारदर्शी प्रक्रिया पर सवाल उठाता है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर कटाक्ष किया कि वे किस मुंह से पार्टी के नेताओं को त्याग का उपदेश दे रहे हैं ? उन्होंने खुद करोड़ों रुपये की 54 बेनामी सम्पत्तियां बिना किसी रोजगार-नौकरी के हासिल कर लीं. अनुभव न होने के बाद भी उप मुख्यमंत्री बन गये. 46 एसी वाले सरकारी बंगले में जमे रहने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा लड़ा.

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