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पटना : 70 करोड़ खर्च, सेविकाएं नहीं समझीं स्मार्टफोन

प्रह्लाद कुमार एक लाख आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए खरीदा गया था सात हजार रुपये का मोबाइल फोन पटना : राज्य के एक लाख आंगनबाड़ी केंद्रों पर काम कर रही सेविकाओं के लिए समाज कल्याण विभाग ने 70 करोड़ रुपये के स्मार्ट मोबाइल फोन खरीदे, पर इतनी बड़ी रकम खर्च कर भी विभाग सेविकाओं को स्मार्ट […]

प्रह्लाद कुमार
एक लाख आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए खरीदा गया था सात हजार रुपये का मोबाइल फोन
पटना : राज्य के एक लाख आंगनबाड़ी केंद्रों पर काम कर रही सेविकाओं के लिए समाज कल्याण विभाग ने 70 करोड़ रुपये के स्मार्ट मोबाइल फोन खरीदे, पर इतनी बड़ी रकम खर्च कर भी विभाग सेविकाओं को स्मार्ट नहीं बना पाया.
मोबाइल खरीदने के बाद विभाग ने इसे आॅपरेट करने की ट्रेनिंग भी दी है. विभाग की परेशानी है कि अधिकतर सेविका पचास की उम्र के करीब हैं. उन्हें स्मार्ट फोन आॅपरेट करने में आ रही परेशानी को देखते हुए विभाग ने छह माह का और प्रशिक्षण देने का फैसला लिया है. आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों का हर दिन पौष्टिक आहार मिले, सेंटर समय से खुले और बंद हो, इसकी निगरानी के लिए एक लाख सेविकाआें को आइसीडीएस मोबाइल कैश से जोड़ा गया है.
इसके लिए सभी सेंटर को स्मार्ट फोन दिया गया. सेविकाओं को स्मार्ट फोन के अलावा आंगनबाड़ी सेंटर पर पांच हजार की अन्य ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस भी दी गयी है, जिससे बच्चों का वजन, लंबाई की जांच की जानी है. वहीं, हर माह अलग से दो सौ रुपये डेटा के लिए भी दिया जाता है ताकि मोबाइल का डेटा नियमित काम करे.
प्रशिक्षण के बाद भी नहीं ऑपरेट कर पा रहीं हैं मोबाइल
आइसीडीएस कैश एप्लीकेशन एप से मुख्यालय आइटी सेल से जोड़ा गया है. सेविका भी सीडीपीओ को स्मार्ट फोन डेस्क के माध्यम से हर दिन रिपोर्ट करेंगी. केंद्रों में होने वाली गतिविधियों की सूचना इसी पर देनी है, लेकिन सच्चाई यह है कि आंगनबाड़ी पर अधिकतर सेविका बस नाम की मैट्रिक पास हैं. उनको ठीक से लिखना-पढ़ना भी नहीं आता है. इसके बावजूद वह सेंटर चला रही हैं. इस कारण से प्रशिक्षण लेने के बाद भी इन्हें मोबाइल चलाने में परेशानी हो रही है. इसके बावजूद आइसीडीएस नियमित प्रशिक्षण के माध्यम से सेविका को स्मार्ट बनाने में जुटा है.
आंगनबाड़ी सेंटर पेपर लेस होगा : आंगनबाड़ी स्मार्ट फोन आने के बाद पेपर लेस हो जायेगा.
सारा काम डेस्क बोर्ड पर ही होगा, लेकिन 50 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिनकी उम्र 50 के करीब है.
इनको प्रशिक्षण देने के लिए विभागीय मंत्री ने कहा है कि अगले छह माह तक प्रशिक्षण दिया जाये और जहां भी स्मार्ट फोन चलाने में महिलाएं सक्षम नहीं हैं. वह परिवार के किसी एक सदस्य को रख सकती हैं.
झोंपड़ी व गंदगी के बीच में चलता है केंद्र: सेंटरों में भले ही बच्चों को पोषाहार देने की बात कही जाती है, लेकिन एक सच यह है कि राज्य भर में लगभग आंगनबाड़ी केंद्र ऐसी गंदी जगह पर हैं, जहां पोषाहार की बात करना बेइमानी है.
विभाग के मुताबिक आंगनबाड़ी का अपना भवन : 26,097, किराये में 80 हजार और स्कूलों में 4010 सेंटर चल रहे हैं. किराये के नाम पर कहीं भी सेंटर खोला गया है, जहां बच्चों का ग्रोथ होना मुमकिन नहीं है.
आइसीडीएस कैश मोबाइल से सेंटर की निगरानी होनी है. इसलिए सेविका को स्मार्ट फोन दिया गया है. प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अधिक उम्र की महिलाओं को थोड़ी परेशानी है. उसके लिए काम हो रहा है.
रामसेवक सिंह, मंत्री, समाज कल्याण विभाग

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