पटना : एंटी रैबीज की किल्लत, स्टॉक में 15 दिनों की भी दवा नहीं

पटना : बिहार में कुत्ता काटने की जितनी घटनाएं हो रही हैं, उसके अनुपात में सरकारी स्टॉक मेें दवा उपलब्ध नहीं है. चयनित कंपनी द्वारा एंटी रैबीज की दवा की आपूर्ति नहीं की जा रही है. बिहार में हर सप्ताह औसतन 10 हजार से अधिक कुत्तों के काटने की घटनाएं होती हैं. इससे बचाव के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2020 9:06 AM
पटना : बिहार में कुत्ता काटने की जितनी घटनाएं हो रही हैं, उसके अनुपात में सरकारी स्टॉक मेें दवा उपलब्ध नहीं है. चयनित कंपनी द्वारा एंटी रैबीज की दवा की आपूर्ति नहीं की जा रही है. बिहार में हर सप्ताह औसतन 10 हजार से अधिक कुत्तों के काटने की घटनाएं होती हैं. इससे बचाव के लिए राज्य के सभी ड्रग वेयर हाउस में करीब 20 हजार वैक्सीन स्टॉक में हैं. यह स्टॉक दो सप्ताह के लिए भी पर्याप्त नहीं है. दवा कंपनी से स्वास्थ्य विभाग ने चार लाख वैक्सीन मांगी है.
कंपनी द्वारा फिलहाल इस मामले में हाथ खड़े करने जैसी स्थिति पैदा हो गयी है. पशु गणना 2016 के अनुसार राज्य में करीब 10.5 लाख आवारा कुत्तों की संख्या है. इसमें ग्रामीण क्षेत्र में नौ लाख 87 हजार, जबकि शहरी क्षेत्र में 50 हजार आवारा कुत्ते हैं. ट्रेंड के अनुसार फरवरी से कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ने लगती हैं. 2018 में मई महीने तक राज्य में 1.48 लाख लोगों को कुत्ताें ने काटा था.
इधर, बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड बीएमएससीआइएल के एमडी संजय सिंह ने बताया कि पूरे देश में एंटी रैबीज का वैक्सीन भारत सरकार की एक ही कंपनी द्वारा बनायी जाती है. फिलहाल वैक्सीन निर्मित करनेवाली कंपनी पर मांग का दबाव है.
निजी क्षेत्र में भी इसकी मांग बढ़ी है. इसके कारण कंपनी द्वारा मांग के अनुरूप दवाओं की आपूर्ति नहीं की जा रही है. उन्होंने बताया कि बिहार में सालाना 16 लाख वैक्सीन की आवश्यकता होती है. फिलहाल वैक्सीन निर्माण करनेवाली कंपनी को चार लाख वैक्सीन आपूर्ति का आदेश दिया गया है. उम्मीद है कि यह जल्द ही उपलब्ध हो जायेगी.

Next Article

Exit mobile version