पटना : शहरों में स्वच्छता स्तर को बेहतर करने की जिम्मेदारी अब सांसदों को भी दे दी गयी है. केंद्र के नियमानुसार संबंधित सांसद को अपने क्षेत्र के शहरों में स्वच्छता को लेकर अब तक कितने काम हुए हैं और कितने बाकी हैं, इसकी जानकारी देनी है. सांसदों को एक कमेटी बना कर स्वच्छता मिशन में किये गये काम की रिपोर्ट तैयार कर संसदीय कमेटी के सामने पेश करनी होगी. सांसदों के अलावा मार्च महीने से एनजीटी की टीम भी राज्य के शहरों का दौरा करेगी.
टीम के अधिकारी स्वच्छता सर्वे को लेकर दिये गये आंकड़ों के आधार पर जांच करेंगे.खास यह कि अब तक जिस काम को पूरा होने का दावा किया जाता है, अगर ऐसा नहीं होता है, तो टीम की ओर से स्थानीय निकायों पर भारी जुर्माना भी लगाया जायेगा. फिलहाल स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर केंद्र की टीम शहर के निकायों का दौरा कर रही है. टीम के अधिकारी लोगों के फीडबैक की जांच कर रहे हैं. एक टीम में तीन से चार अधिकारी हैं. पटना सहित कई शहरों का निरीक्षण पूरा किया जा चुका है. अब तक आयी रिपोर्ट के अनुसार पटना से मुजफ्फरपुर, गया, मुंगेर, सुपौल और बिहारशरीफ शहर आगे चल रहे हैं.
अनुदान हो सकता है बंद अप्रैल से लगेगा जुर्माना
केंद्रीय टीम सर्वे के बाद 15 फरवरी तक अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंप देगी. इस बार फरवरी के अंत तक सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रकाशित की जायेगी. दूसरी बड़ी बात है कि केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष 2020-21 से स्वच्छता का काम तय समय में पूरा नहीं करने वाले निकायों के अनुदान पर रोक लगा देने की तैयारी में है.न केवल अनुदान रोकने की कार्रवाई होगी, बल्कि सुस्त निकायों पर प्रतिवर्ष की देरी के आधार पर जुर्माना भी लगाया जायेगा.