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पटना : हनुमाननगर में किराये पर रूम लेकर हाइवे पर करते थे लूटपाट व मारपीट, नौ गिरफ्तार

पटना : ग्रामीण पुलिस ने हाइवे पर हथियार दिखा लूटपाट करने और सुपारी लेकर मारपीट करने वाले गिरोह के नौ सदस्यों को गिरफ्तार किया है. उनसे हथियार भी बरामद किये गये हैं. गिरोह के सरगना धर्मेंद्र कुमार उर्फ डोमा पर पहले से भी लूट, मारपीट व आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज हैं. गिरोह फिर किसी […]

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पटना : ग्रामीण पुलिस ने हाइवे पर हथियार दिखा लूटपाट करने और सुपारी लेकर मारपीट करने वाले गिरोह के नौ सदस्यों को गिरफ्तार किया है. उनसे हथियार भी बरामद किये गये हैं. गिरोह के सरगना धर्मेंद्र कुमार उर्फ डोमा पर पहले से भी लूट, मारपीट व आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज हैं. गिरोह फिर किसी लूट की वारदात को अंजाम देने की फिराक में था, लेकिन पुलिस के हत्थे चढ़ गया. इनके पास से 4 देशी कट्टा, 8 जिंदा कारतूस, दो लूट की स्कॉर्पियो, 37 कंप्यूटर व प्रिंटर, 4 बॉक्स कलर इंक और 5 मोबाइल फोन बरामद किया गया है. रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एसएसपी उपेंद्र शर्मा व ग्रामीण एसपी कांतेय मिश्रा ने लूटपाट व गिरफ्तारी की पुष्टि की है.
कई घटनाओं को दिया अंजाम
सभी गिरफ्तार आरोपित शहर के कंकड़बाग स्थित हनुमान नगर में किराये का फ्लैट लिये हुए थे. आरोपितों ने बताया कि मसौढ़ी, नवगछिया, दनियावां, शाहजहांपुर, गौरीचक, फतुहा, नालंदा, बक्सर, रोहतास, बेगूसराय व खगड़िया में वारदात को अंजाम दे चुके हैं. हाल ही में मसौढ़ी में स्कॉर्पियो व मोबिल वाहन की लूटपाट कर फरार हो गये थे.
ये नौ आरोपित हुए गिरफ्तार : फतुहा के जयनंदपुर थाना क्षेत्र के धर्मेंद्र कुमार, धनरूआ के पवन राज, चंदन कुमार, सोनू कुमार बख्तियारपुर के श्लोक कुमार, खुशरूपुर के पवन कुमार, राहुल कुमार व कंकड़बाग से राकेश व मिंटू को गिरफ्तार किया गया है. इनकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पटना जिले के पंडारक, मोकामा, शाहपुर, बाढ़ व बिहटा थानों में दर्ज मामले का भी खुलासा किया है.
पटना : दवा में खुदरा पैसों का खेल चल रहा है. पांच, दस, बीस व पचास पैसे बाजार में बंद हो चुके हैं. लेकिन, इन पैसों के कारण मरीज की जेब से लाखों निकल रहे हैं. अगर किसी दवा की कीमत 12 रुपये 40 पैसे हैं, तो दुकानदार उसकी कीमत 13 रुपये यानी राउंड फिगर में वसूल रहे हैं. क्योंकि, 60 पैसे लौटाना न तो दुकानदार के वश में है और 40 पैसे खरीदार नहीं दे सकते हैं.
अगर 40 पैसे कम कर केवल 12 रुपये देने की बात की जाये, तो इस पर दुकानदार तैयार नहीं होते हैं. बाजार में जितनी भी दवाएं हैं उनमें 90 फीसदी की कीमत राउंड फिगर में नहीं है. जिन पैसों का चलन बंद हो चुका है, उसे दवा कंपनी की ओर से रखने का कोई मतलब नहीं बनता है. साथ ही औषधि विभाग का नियम भी टूटता है. क्योंकि, विभाग ने यह निर्देश जारी कर रखा है कि दवा को प्रिंट रेट से अधिक में बिक्री नहीं करनी है.
खुदरा पैसों को लेकर समस्या : सहायक औषधि नियंत्रक विश्वजीत दास गुप्ता ने बताया कि यह बात सही है कि दवा का दाम राउंड फिगर में नहीं होता है. अब इसमें दवा दुकानदार उन पैसों को छोड़ दे या फिर ज्यादा पैसे मरीज ही दे दे. यह बात भी सत्य है कि प्रिंट रेट से ज्यादा नहीं लेना है. लेकिन, इसे साबित करना मुश्किल है. क्योंकि, अगर तीन-चार दवाएं लेते हैं तो बिल में मैनेज हो जाता है. लेकिन, एक स्ट्रीप लेने पर खुदरा पैसों को लेकर समस्या आती है. दुकानदार एक स्ट्रीप के लिए बिल किसी भी हालत में नहीं देगा.
लाखों का है खेल
बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष परसन कुमार सिंह के अनुसार बिहार में एक साल में साढ़े सात हजार करोड़ का दवा व्यवसाय है. इसमें करीब 2.5 हजार करोड़ के दवा का व्यवसाय केवल पटना में है. वे भी मानते हैं कि जिन पैसों का चलन बंद है, उसे रखने का कोई मतलब नहीं .
टॉफी देने का भी है चलन : दवा दुकानों में टॉफी भी देने का चलन है. अगर आपने 50 रुपया दिया है और दवा 48 रुपये की हुई, तो दो रुपये की टॉफी भी थमा दी जाती है.

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