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250 सैनिकों की जान बचानेवाले शौर्य चक्र विजेता शुकदेव सहनी का निधन, 65 और 71 के युद्ध में थे शामिल

पटना : पाकिस्तान के साथ दो बार युद्ध करनेवाले शौर्य चक्र विजेता शुकदेव प्रसाद सहनी का निधन लंबी बीमारी के बाद मुजफ्फरपुर के एक निजी अस्पताल में हो गया. सहनी के निधन पर मुख्यमंत्री समेत कई राजनीतिक और सामाजिक लोगों ने सहनी के निधन पर शोक जताया है. पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 के […]

पटना : पाकिस्तान के साथ दो बार युद्ध करनेवाले शौर्य चक्र विजेता शुकदेव प्रसाद सहनी का निधन लंबी बीमारी के बाद मुजफ्फरपुर के एक निजी अस्पताल में हो गया. सहनी के निधन पर मुख्यमंत्री समेत कई राजनीतिक और सामाजिक लोगों ने सहनी के निधन पर शोक जताया है.

पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 के युद्ध में हुए थे शामिल

मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा स्थित नूनफर के निवासी शुकदेव सहनी साल 1957 में इंडियन नेवी में भर्ती हुए और 1973 में सेना से सेवानिवृत्त हो गये. अंतिम क्षणों में भी जवानों के तेवर उनमें विद्यमान रहे. एक इंटरव्यू में भी उन्होंने कहा था कि जवान कभी रिटायर नहीं होता, वह हमेशा जवान ही रहता है. पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 के युद्ध में शामिल हो चुके शुकदेव सहनी को 26 जनवरी 1970 को तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने रक्षा अलंकरण समारोह में शौर्य चक्र से नवाजा था. उन्हें बंगाल की खाड़ी में आईएनएस कुठार में 250 जवानों की जान बचाने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.

250 जवानों की जान बचाने पर मिला था शौर्य चक्र

बात 17 जून, 1969 की है. बंगाल की खाड़ी में आईएनएस कुठार जहाज का पूर्वाभ्यास हो रहा था. उस वक्त सभी विंग के नौ सेना पदाधिकारी मौजूद थे. इस जहाज में पेटी अफसर इंजीनियरिंग मैकेनिक शुकदेव सहनी भी शामिल थे. 27 जून, 1969 को पेटी अफसर इंजीनियरिंग मैकेनिक शुकदेव प्रसाद सहनी बायलर रूम में निगरानी की ड्यूटी पर तैनात थे. आईएनएस कुठार मुंबई (तत्कालीन बंबई) से दूर बंगाल की खाड़ी में दोनों बायलरों का समुद्री परीक्षण कर रहा था. परीक्षण के दौरान स्टार बोर्ड बायलर से स्टीम लीक होने के कारण बंद करना पड़ा. दोपहर करीब दो बजकर 50 मिनट पर तकनीकी खराबी के कारण बॉयलर का पाइप फट गया और आग लग गयी. देखते ही देखते बायलर रूम धुएं से भर गया. पेटी अफसर इंजीनियरिंग मैकेनिक शुकदेव प्रसाद सहनी आग पर काबू पाने के लिए तेल के रिसाव को हाथ से रोकन लगे. इसमें तेल का तापमान 172.0 फॉरेनहाइट होने के कारण जल जाने का खतरा था. इस कार्यवाही में पेटी अफसर इंजीनियरिंग मैकेनिक शुकदेव प्रसाद सहनी झुलस गये. उन्होंने अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हुए करीब 250 सैनिकों की जान बचा ली. हालांकि, इस हादसे में एसके पाटिल सहित उनके दो सहयोगियों की मौत हो गयी थी. हादसे के बाद मुंबई के नौ सेना हॉस्पिटल में 16 दिनों तक शुकदेव सहनी का इलाज चला था.

शौर्य चक्र विजेता के निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जताया शोक

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शौर्य चक्र विजेता शुकदेव प्रसाद सहनी के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि शुकदेव प्रसाद सहनी ने इंडियन नेवी में अदम्य साहस और दूरदर्शिता का परिचय दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिवंगत आत्मा की चिरशांति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.

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