बिहार में मौसम के चलते बढ़ी गरीबी, घटी किसानों की आय, पढ़ें यह खास रिपोर्ट
राजदेव पांडेय लोगों की जेब पर भी पड़ने लगा है मौसम में बदलाव का असर, ग्रामीण उपभोग की मांग भी घटी पटना : बिहार में मौसम में आये बदलाव का असर लोगों की जेब पर भी पड़ने लगा है. क्लाइमेट चेंज से प्रदेश की गरीबी बढ़ी है. बरसात में कमी और उसके पैटर्न में हो […]
राजदेव पांडेय
लोगों की जेब पर भी पड़ने लगा है मौसम में बदलाव का असर, ग्रामीण उपभोग की मांग भी घटी
पटना : बिहार में मौसम में आये बदलाव का असर लोगों की जेब पर भी पड़ने लगा है. क्लाइमेट चेंज से प्रदेश की गरीबी बढ़ी है. बरसात में कमी और उसके पैटर्न में हो रहे बदलाव से बाढ़ और सुखाड़ ज्यादा भयावह हो चले हैं.
इसका कृषि उत्पादन पर घातक असर पड़ रहा है. नेशनल सेंपल सर्वे 2018-19 की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण उपभोक्ताओं की मांग घटकर 40 साल पीछे चली गयी है. इस परिदृश्य में न केवल किसानों की आय घटी है, बल्कि उसकी थाली से वे स्वादिष्ट अनाज बाहर हो गये हैं, जिससे उसका पोषण होता था.
किसानों की क्रय शक्ति कमजोर होने की दूसरी वजहों में नोटबंदी और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज का कमजोर होना भी रहा है. नीति आयोग ने भी इसे संज्ञान में लिया है. एनएसएस रिपोर्ट की पुष्टि बिहार का पिछला आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी करती है. मनरेगा में पिछले साल पूरे प्रदेश में केवल 0.6 फीसदी जाॅब कार्ड धारकों को सौ दिन रोजगार मिल सका.
बिहार क्लाइमेट चेंज एक्शन रिपोर्ट बताती है कि जलवायु में बदलाव से कई फसलों का उत्पादन घट रहा है. बिहार की मुख्य फसल धान पर संकट खड़ा हो गया है.
2011-12 में चावल का उत्पादन 81 लाख,2012-13 में 83 लाख और उससे पहले के सालों में कमोबेश इतना ही उत्पादन रहा. बरसात का तेजी से बदलते पैटर्न के चलते उत्पादन कभी बढ़ने तो कभी घटने लगा. 2018-19 में यह उत्पादन 60 लाख टन पर आ गया. क्लाइमेट चेंज में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाली फसलें गर्मी और खरीफ की हैं.
इन फसलों को सबसे अधिक नुकसान
गरमा चावल में 5.84,खरीफ मक्का में 9.74 और रागी में 19.07% की कमी आयी है. कुल दलहनी उत्पादन में 2.03% वार्षिक कमी दर्ज की गयी है.
दलहनी फसलों में उड़द में करीब 15, भदई मूंग में 6.52, कुल्थी में 0.04, अन्य खरीफ दलहन में 6.28, अरहर में 3.2, मसूर में 5.08, मटर में 1.92, खेसारी में 7.33% उत्पादन में गिरावट आयी है.
तिलहन उत्पादन में 4.68% की कमी दर्ज की गयी है. इनमें अंडी में 34.83, कुसुम में 42 फीसदी, तिल में 10.38% और सूर्य मुखी में 8.68, सरसों-राई में 2.92, तीसी में 11%, मूंगफली में 3.76% की कमी दर्ज की गयी है. जूट उत्पादन में 6.25 और मेसता में 7.35% की कमी आयी है. ईख में 1.28% की गिरावट आयी है.
नेशनल सेंपल सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के किसानों की क्रय शक्ति कम हुई है. सच्चाई यह है कि बिहार के इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेजी से ग्राेथ हुई है,लेकिन इसमें तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा होने से लोगों को अपेक्षित रोजगार नहीं मिल सका. अनियमित बारिश भी इस गिरावट की मुख्य वजहों में एक है. बाढ़ ओर सुखाड़ घातक हो चले हैं. किसानों के हितों के लिए विशेष अभियान चलाने की जरूरत है.
डीएम दिवाकर, अर्थशास्त्री, ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट, पटना