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नौकरियों में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले पासवान : अध्यादेश लाये सरकार, संविधान संशोधन हो

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा है कि अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के लिए नौकरियों में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में ‘सुधार’ के लिए सरकार को एक अध्यादेश लाना चाहिए. पासवान ने यह भी कहा कि इस तरह के सभी मुद्दों को संविधान की […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा है कि अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के लिए नौकरियों में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में ‘सुधार’ के लिए सरकार को एक अध्यादेश लाना चाहिए. पासवान ने यह भी कहा कि इस तरह के सभी मुद्दों को संविधान की ‘नौवीं अनुसूची’ में डाल देना चाहिए, ताकि उन्हें न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर रखा जा सके.

उन्होंने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर करने और इस विषय पर कानूनी राय लेने पर विचार कर रही है. पासवान ने कहा, ‘पुनर्विचार याचिका का विकल्प है, लेकिन यह विषय फिर से न्यायालय में जायेगा, यह देखना होगा कि यह सफल होता है या नहीं. इसलिए, मेरे विचार से आसान तरीका एक अध्यादेश जारी करना और संविधान में संशोधन करना होगा.’ लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) नेता की यह टिप्पणी राजनीतिक भूचाल ला देनेवाले शीर्ष न्यायालय के एक हालिया फैसले पर आयी है.

मालूम हो कि शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकारें एससी और एसटी समुदायों को नियुक्तियों में आरक्षण मुहैया करने के लिए बाध्य नहीं है तथा पदोन्नति में आरक्षण का दावा करने के लिए कोई मूल अधिकार नहीं है. पासवान ने कहा, ‘…यह संविधान का हिस्सा है और लोगों को यह आपत्ति है कि यह फैसला एससी/एसटी के हितों के खिलाफ है.’ उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं जन वितरण मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सुधार के लिए एक अध्यादेश लाया जाना चाहिए और संविधान में संशोधन करना चाहिए.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि संसद के सत्र में नहीं रहने के दौरान अध्यादेश लाया जा सकता है. पासवान ने कहा कि एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने भी लोकसभा में यह विषय उठाया था और एससी/एसटी से जुड़े इस तरह के सभी विषयों को नौवीं अनुसूची में डालने की मांग की थी. उन्होंने बताया कि करीब 70 दलित और आदिवासी सांसद इस हफ्ते की शुरुआत में उनके आवास पर मिले थे. उनमें केंद्रीय मंत्री भी थे. उन्होने सरकार के समक्ष दो मुख्य मांगें रखी- एक अध्यादेश जारी किया जाये और फिर सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को अमान्य करने के लिए संविधान संशोधन किया जाये तथा एससी, एसटी और ओबीसी की उच्चतर न्यायपालिका में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए भारतीय न्यायिक सेवा हो. एलजेपी नेता ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘राहुल को लोगों से कहना चाहिए कि संसद के केंद्रीय कक्ष में एक ही परिवार की इतनी सारी तस्वीरें क्यों थी, जबकि वीपी सिंह सरकार के सत्ता में आने तक आंबेडकर की तस्वीर नहीं लगायी गयी थी.’ उल्लेखनीय है कि राहुल ने कहा था कि आरक्षण खत्म करने के लिए एक ‘बड़ी साजिश’ चल रही है.

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