पटना : मुआवजा सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार है या नहीं, बताएं

पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में यह बताने को कहा है कि दंगा व आगजनी से नागरिकों को हुए जानमाल के नुकसान पर राज्य सरकार द्वारा जो मुआवजा पीड़ितों को दिया जाता है, वह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के आलोक में है या नहीं? न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह व न्यायाधीश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2020 9:20 AM
पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में यह बताने को कहा है कि दंगा व आगजनी से नागरिकों को हुए जानमाल के नुकसान पर राज्य सरकार द्वारा जो मुआवजा पीड़ितों को दिया जाता है, वह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के आलोक में है या नहीं? न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह व न्यायाधीश अनिल कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने आफताब आलम द्वारा दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह जानकारी मांगी है.
कोर्ट ने गृह विभाग के प्रधान सचिव को कहा कि वे चार सप्ताह में यह स्पष्ट करें कि बिहार सरकार द्वारा मुआवजा देने के लिए बनायी गयी नीति सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये दिशा निर्देश के कितना अनुरूप है. याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया की बिहार सरकार के गृह विभाग ने 30 सितंबर, 2013 को संकल्प जारी कर एक नये मुआवजे नीति की घोषणा की है. इसमें अधिकतम मुआवजे की राशि ढाई लाख रुपये है. यह राशि होने वाले नुकसान और पीड़ितों की जिंदगी को सुचारु बनाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.
कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार बनाम आइआरसीटीसी कंपनी के मुकदमे में एक दिशा-निर्देश जारी किया था, जिसके तहत दंगा पीड़ित व्यक्ति को उसकी जिंदगी वापस पटरी पर लाने के लिए पर्याप्त मुआवजे का प्रावधान लाने की बात कही गयी है.

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