पटना : ट्रांजेक्शन के लिए चेहरे की पहचान होगी जरूरी
सुबोध कुमार नंदन बैंकिंग को मजबूत करने की तैयारी में जुटी आरबीआइ की तकनीकी टीम पटना : आनेवाले समय में ऑनलाइन बैंकिंग ट्रांजेक्शन के दौरान ओटीपी के अलावा चेहरे की पहचान, आंख की पुतली (आइरिस) और इलाके की जानकारी मांगी जा सकती है. इसके बाद ही ट्रांजेक्शन की प्रक्रिया होगी. बैंकिंग फ्रॉड की बढ़ती घटनाओं […]
सुबोध कुमार नंदन
बैंकिंग को मजबूत करने की तैयारी में जुटी आरबीआइ की तकनीकी टीम
पटना : आनेवाले समय में ऑनलाइन बैंकिंग ट्रांजेक्शन के दौरान ओटीपी के अलावा चेहरे की पहचान, आंख की पुतली (आइरिस) और इलाके की जानकारी मांगी जा सकती है. इसके बाद ही ट्रांजेक्शन की प्रक्रिया होगी. बैंकिंग फ्रॉड की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए रिजर्व बैंक की तकनीकी टीम ऑनलाइन बैंकिंग को मजबूत करने की तैयारी में जुटी है. रिजर्व बैंक के अाधिकारिक सूत्रों की मानें, तो आने वाले वक्त में ऑनलाइन बैंकिंग ट्रांजेक्शन के लिए केवल ओटीपी से काम नहीं चलेगा.
अभी सुरक्षा के लिए टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन का होता है प्रयोग
ऑनलाइन बैंकिंग को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए नये फीचर्स जोड़े जा सकते हैं. इससे फ्रॉड की घटनाओं पर रोक लेगी. अधिकारियों की मानें तो यह प्रस्ताव प्रारंभिक चरण में है.
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के संयुक्त महासचिव डीएन त्रिवेदी ने बताया कि फिलहाल इ-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर क्रेडिट या डेबिट कार्ड से ट्रांजेक्शन में सुरक्षा के दो लेयर होते हैं. इसे टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन कहते हैं. पहले लेयरमें बैंक खाताधारक से कार्ड का डीटेल्स और सीवीवी आदि लेकर ट्रांजेक्शन की अनुमति दी जाती है और दूसरी लेयर में ओटीपी देने के लिए कहा जाता है, जो खाताधारक के मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है.
अब भी ऑनलाइन बैंकिंग से डरते हैं लोग
वहीं स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त प्रबंधक बीडी प्रसाद ने कहा कि सभी ट्रांजेक्शन में इसकी आवश्यकता नहीं है. फिर भी रिजर्व बैंक का यह प्रस्ताव आज की तारीख में ही नहीं भविष्य के लिए काफी मायने रखता है. फिलहाल बैंक खाता अाधार से लिंक होता है और आधार कार्ड बनाते वक्त भी आंख की पुतली की स्कैनिंग की जाती है. यह प्रयोग बैंकिंग फ्रॉड पर अंकुश लगा सकेगा. सूत्रों के अनुसार छोटे शहरों और ग्रामीण इलाके के लोग आज भी ऑनलाइन बैंकिंग करने से डरते हैं.