पटना : उर्दू के ऑपरेटरों व कार्यालय सहायक की नहीं हुई बहाली
तीन साल पहले की गयी थी घोषणा 124 कार्यालयों में की जानी है भर्ती पटना : जिन सरकारी महकमों में खासकर निबंधन विभाग में ऊर्दू में कामकाज होता है. वहां उर्दू को जानने वाले एक-एक डाटा इंट्री ऑपरेटर या कार्यपालक सहायक की तैनाती करनी है. यह आदेश 2017 में ही जारी किया गया था, लेकिन […]
तीन साल पहले की गयी थी घोषणा
124 कार्यालयों में की जानी है भर्ती
पटना : जिन सरकारी महकमों में खासकर निबंधन विभाग में ऊर्दू में कामकाज होता है. वहां उर्दू को जानने वाले एक-एक डाटा इंट्री ऑपरेटर या कार्यपालक सहायक की तैनाती करनी है. यह आदेश 2017 में ही जारी किया गया था, लेकिन तीन साल बाद भी यह व्यवस्था लागू नहीं हो पायी है.
कहीं भी उर्दू जानने वाले डाटा इंट्री ऑपरेटरों की बहाली नहीं हुई है. राज्य में मौजूद 124 निबंधन कार्यालयों में इन ऑपरेटरों की बहाली प्राथमिकता के स्तर पर होनी थी. इसके मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने सभी जिलों को मार्च 2017 में पत्र भी लिखा था. बावजूद इसके अब तक इनकी बहाली नहीं हुई है. फरवरी 2019 में नालंदा समेत कुछ अन्य जिलों ने इसके लिए विज्ञापन भी निकाला था, लेकिन इसके बाद मामला आगे बढ़ ही नहीं पाया. वर्तमान में राज्य के सभी निबंधन कार्यालयों में जमीन, फ्लैट, मकान समेत अन्य चीजों की रोजाना करीब पांच हजार रजिस्ट्री होती है.
इसमें तीन से चार प्रतिशत दस्तावेज उर्दू से जुड़े आते हैं. खासकर किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया समेत अन्य जिलों ऊर्दू में दस्तावेजों के आने की संख्या काफी ज्यादा है. कई मामलों में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर उर्दू में होते हैं. ऐसे में निबंधन कार्यालयों में इन हस्ताक्षरों की पहचान करने में बड़ी समस्या होती है. वर्तमान में रजिस्ट्री के लिए आने वाले उर्दू दस्तावेज को पढ़ने और हस्ताक्षर की पहचान करने के लिए बाहरी वेंडर या कार्यालय परिसर में काम करने वाले निजी लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है.