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नीतीश कुमार का विकिपीडिया पेज हैक,15 साल के विकास कार्य का उल्लेख, औरों से भी लिखने का किया गया आग्रह

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गूगल विकिपीडिया पेज हैक कर लिया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गूगल विकिपीडिया पेज पर 2004 में बिहारके विकास कार्यों की स्थिति क्या थी और 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद से 15 सालों में बिहार के विकास कार्यों की स्थिति क्या है […]

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गूगल विकिपीडिया पेज हैक कर लिया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गूगल विकिपीडिया पेज पर 2004 में बिहारके विकास कार्यों की स्थिति क्या थी और 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद से 15 सालों में बिहार के विकास कार्यों की स्थिति क्या है इसका ब्योरा लिखा गया है. नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से एक साल पहले 2004 में बिहार की विकास गति क्या थी, और आज 2020 में बिहार का विकास गति क्या है इसका जिक्र किया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 15 साल का कार्यकाल में विकास कार्यों की स्थिति क्या है, इसकातुलना कर एडिट किया गया है. 15 साल पहले बिहार के लोग किस तरह से परेशान थे और अब भी उनकी परेशानी क्या है, इसके बारे में लिखा गया है. जबकि, दूसरे लोगों से भी विचार मांगे गये हैं.
बता दें किसी का भी विकिपीडिया पेज को कोई भी व्यक्ति एडिट कर सकता है और कुछ भी लिख सकता है. नीतीश कुमार 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गूगल विकिपीडिया पर लिखा गया है कि 15 साल के सुशासन में बदला क्या है…? इसके बाद आगे लिखा गया है कि ई पोस्ट कोई नीतीश जी को पढ़ा दे तो उनका रिएक्शन बिल्कुल ऐसा ही होगा, इसके बाद आगे लिखा है कि 2004 में जो स्थिति थी वही स्थिति आज भी है. 2004 में बिहार की खेती की हालत बिल्कुल खराब थी, कृषि किसानों के लिये एक बोझ बनकर रह गई थी. 2020 में बिहार में खेती की हालत खराब है. सिंचाई-खाद-उन्नत बीज-जानकारी आदि के अभाव में कृषि किसानों के लिए एक बोझ बनकर रह गयी है. उसके बाद आगे लिखा हुआ है की बाकी क्षेत्र में आप भी कंपेयर कीजिए कि 15 साल के शासन में बदला क्या है.
इस तरह से विकिपीडिया में 2004 और 2020 की तुलना
इसके बाद आगे लिखा गया है कि 2004 में बिहार में भयंकर बेरोजगारी थी, रोजगार के अभाव में लोग दिल्ली-मुंबई समेत दूसरे शहरों में पलायन कर रहे थे. 2020 में भी बिहार में बेरोजगारी संकट जारी है, रोजगार के अभाव में लोग दिल्ली-मुंबई पलायन कर रहे हैं. 2004 में बिहार में चीनी मिल, पेपर मिल, सूत मिल, जूट मिल, खाद मिल समेत तमाम पुराने उद्योग-मिल बंद पड़े थे. किसी प्रकार की कोई नयी इंडस्ट्री बिहार आने को तैयार नहीं थी. 2020 में भी बिहार में चीनी मिल, पेपर मिल, सूत मिल, जुट मिल, खाद मिल समेत तमाम पुराने उद्योग-मिल बंद पड़े हुए हैं.

किसी प्रकार की कोई नयी इंडस्ट्री बिहार आने को तैयार नहीं है. 2004 में बिहार में शिक्षा का हाल बुरा था. स्कूलों में शिक्षक नहीं थे, कॉलेजों में क्लासेज नहीं चलती थी, विश्वविद्यालयों में 75% पद खाली थे और सेशन कभी समय पर पूरा नहीं होता था. 2020 में भी शिक्षा का हाल बुरा है. स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, कॉलेजों में क्लासेज नहीं चलती हैं, विश्वविद्यालयों में 75% पद खाली पड़े हैं और सेशन कभी समय पर कम्प्लीट नहीं होते. 2004 में बिहार में स्वास्थ्य का हाल बुरा था. अस्पतालों में कुव्यवस्था फैली थी, छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी लोगों को दिल्ली-मुंबई जाना पड़ता था. 2020 में भी स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बुरा है. अस्पतालों में कुव्यवस्था फैली है, इलाज के लिए दिल्ली-मुंबई जाना पड़ता है.

2004 में बिहार में पलायन मजबूरी थी और अब भी है…
2004 में अपराध में बिहार अव्वल था. हत्या, चोरी, बलात्कार, अपहरण आदि रोजाना की घटनाएं थी. कानून व्यवस्था बनाने में पुलिस नाकाम और असमर्थ थी. 2020 में भी अपराध के मामले में बिहार अव्वल है. हत्या, चोरी, बलात्कार, अपहरण आदि रोजाना की घटनाएं हैं. कानून व्यवस्था ठीक करने में पुलिस नाकाम है. 2004 में बिहार में पलायन मजबूरी थी. रोजगार, कुपोषण, गरीबी, अशिक्षा के कारण बिहार एक बीमारू राज्य माना जाता था. जीडीपी के हिसाब से बिहार भारत का सबसे गरीब राज्य था. दूसरे राज्यों में बिहारी शब्द एक अपशब्द जैसे प्रयुक्त होता था, पलायन करके गए लोगों को वहां गाली, मार, अपमान सहना पड़ता था. 2020 में भी बिहार में पलायन जारी है. बेरोजगारी, कुपोषण, गरीबी, अशिक्षा के कारण बिहार एक बीमार राज्य माना जाता है.

2004 में हर साल बिहार में बाढ़ आती थी, सैकड़ों लोगों की जान चली जाती थी, करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान होता था. राज्य सरकार इन आपदाओं को झेलने या उसके स्थायी समाधान खोजने में असमर्थ थी. 2020 में भी हर साल बिहार में बाढ़ आती है. आज भी राज्य की सरकार बाढ़ के कहर को खत्म करने में सफल साबित नहीं हो सकी है.

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