पटना: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता कन्हैया कुमार ने एआईएमआईएम के नेता वारिस पठान के ‘‘15 करोड़ मुसलमानों के 100 करोड़ पर भारी होने’ संबंधी बयान को गलत बताते हुए कहा कि ‘‘धार्मिक’ और ‘‘कट्टर’ होने के बीच अंतर हैं. जेएनयू के पूर्व छात्र नेता ने सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ राज्यव्यापी ‘जन गण मन यात्रा’ के दौरान पठान के बयान और बेंगलुरु में एआईएमआईएम की एक रैली में एक युवती द्वारा ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाये जाने के संबंध में पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देते हुए यह बात कही.
किसी बलि के बकरे की हमेशा होती है आवश्यकता : कन्हैया
कन्हैया कुमार 2016 में उनके खिलाफ राजद्रोह का आरोप लगने के बाद सुर्खियों में आये थे. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि किसी बलि के बकरे की आवश्यकता हमेशा होती है. चार साल पहले बलि का बकरा मैं था, जब सोशल मीडिया समेत हर जगह मुझे अपशब्द कहे जा रहे थे. अब, मैं पुराना हो चुका हूं इसलिए नफरत करने के लिए नयी चीजें खोज ली गयी हैं.’
धार्मिक होने और कट्टर होने में अंतर : कन्हैया
हालांकि, उन्होंने कहा कि वह धर्म के नाम पर लोगों को भड़काने की हर कोशिश का विरोध करते हैं. कन्हैया कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह समझने की आवश्यकता है कि धार्मिक होने और कट्टर होने एवं नफरत को सही ठहराने के लिए किसी की आस्था का इस्तेमाल करने के बीच अंतर है.’