अंगदान दिवस आज: जागरूकता और प्रचार-प्रसार की कमी बनी सबसे बड़ी बाधा कहां करें अंगदान, पता ही नहीं

पटना: हर साल डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटना में मरते हैं. इनमें से अधिकतर की मौत सिर में चोट लगने से होती है. अगर ऐसे लोग ऑर्गन डोनेशन से रजिस्टर्ड हों या फिर उनके परिवार इसके लिए तैयार हो जायें, तो एक इनसान के ऑर्गन डोनेशन से 50 जरूरतमंद लोगों की मदद हो सकती है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 13, 2014 7:20 AM

पटना: हर साल डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटना में मरते हैं. इनमें से अधिकतर की मौत सिर में चोट लगने से होती है. अगर ऐसे लोग ऑर्गन डोनेशन से रजिस्टर्ड हों या फिर उनके परिवार इसके लिए तैयार हो जायें, तो एक इनसान के ऑर्गन डोनेशन से 50 जरूरतमंद लोगों की मदद हो सकती है. लेकिन, ऑर्गन की कमी की वजह से पांच लाख से अधिक लोग मर जाते हैं. बिहार में ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट 1994 लागू होने के बावजूद जागरूकता के अभाव में लोगों को डोनेशन करने की प्रक्रिया और जगह नहीं मालूम है. हाल के दिनों में आइजीआइएमएस में नेत्र बैंक बनाने की प्रक्रिया तेजी से शुरू हुई है, जिसका लाभ जल्द लोगों को मिलने लगेगा.

नेत्रदान की स्थिति
पीएमसीएच में 1984 में आइ बैंक की स्थापना की गयी थी. स्थापना के बाद लगभग 10 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन किसी व्यक्ति ने आज तक नेत्रदान नहीं किया है. क्योंकि, बिहार के किसी भी मेडिकल कॉलेज व निजी संस्था द्वारा ऑर्गन डोनेशन की व्यवस्था नहीं की गयी है, जिसके कारण लोग चाह कर भी शरीर का दान नहीं कर पाते हैं, पर अब एक्ट लागू होने के बाद आइजीआइएमएस में आइ बैंक शुरू होने जा रहा है.

प्रक्रिया नहीं मालूम
पीएमसीएच के प्लास्टिक सजर्री विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ श्रुति लाल मंडल ने भी अपना शरीर दान किया है. लेकिन, उन्हें यह नहीं पता चल पाया है कि प्रक्रिया क्या है. अपने शरीर के दान की घोषणा कर चुके राजीव कुमार ने बताया कि जब वह पीएमसीएच में नेत्रदान के लिए गये, तो वहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं दिखी, जहां लोगों के नेत्र को दान के बाद सुरक्षित रखा जा सके. ऐसे में उन्होंने अपना पूरा शरीर दान कर दिया.

जागरूकता कार्यक्रम आज
अंगदान दिवस पर पीएमसीएच में 13 अगस्त को जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन होगा. इसमें लोगों को अंगदान करने से कितने लोगों को फायदा होगा. इसके लिए सरकार क्या कर रही है और लोगों को क्या करना होगा. कार्यक्रम आरएसबी में आयोजित होगा.

बिहार ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन एक्ट सूबे में लागू है. बहुत जल्द सभी मेडिकल कॉलेजों में इसकी व्यवस्था शुरू हो जायेगी, जहां लोग अपने अंग का दान कर पायेंगे. हालांकि इस दिशा में काम करने की जरूरत है और मेडिकल कॉलेजों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि लोग आराम से अंगदान कर सकें. इसको लेकर पीएमसीएच में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा, जिसमें अस्पताल के सभी चिकित्सक व सिस्टर मौजूद रहेंगी.

डॉ सुधांशु सिंह, उपाधीक्षक, पीएमसीएच

क्या है अंगदान
अंगदान एक ऐसी प्रक्रि या है, जिसमें एक इंसान (मृत और कभी-कभी जीवित भी) से स्वस्थ अंगों और टिशूज़ को ले लिया जाता है और फिर इन अंगों को किसी दूसरे जरूरतमंद शख्स में ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है. इस तरह अंगदान से किसी दूसरे शख्स की जिंदगी को बचाया जा सकता है. एक शख्स द्वारा किए गए अंगदान से 50 जरूरतमंद लोगों की मदद हो सकती है. मेडिकल भाषा में लोग जिंदा रहते यह शपथ लेते हैं कि ब्रेन डेड की स्थिति में उसकी बॉडी के ऑर्गन डोनेट कर दिये जायें. उनके ये ऑर्गन बीमार आदमी को नयी जिंदगी देते हैं. ऑर्गन डोनेशन एक्ट के तहत तीन बातों का विशेष रूप से ख्याल रखा जाता है कि लोग डोनेट कहां करेंगे, किसको लगेगा और कहां लगाया जायेगा.

कौन कर सकता है
कोई भी शख्स अंगदान कर सकता है. उम्र का इससे कोई लेना-देना नहीं है. नवजात बच्चों से लेकर 90 साल के बुजुर्गों तक के अंगदान कामयाब हुए हैं. अगर कोई शख्स 18 साल से कम उम्र का है तो उसे अंगदान के लिए फॉर्म भरने से पहले अपने मां-बाप की इजाजत लेना जरूरी है.

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