विवि शिक्षक बहाली प्रक्रिया के पैटर्न पर उठाये सवाल
पटना : विवि शिक्षक बहाली प्रक्रिया के पैटर्न पर व्याख्याता अभ्यर्थी संघ ने आपत्ति जतायी है और उसका विरोध भी शुरू कर दिया है. रविवार को विज्ञापन के संबंध में जानकारी मिलने के साथ ही अभ्यर्थियों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. उन्होंने पूरी बहाली प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिये हैं. छात्रों […]
पटना : विवि शिक्षक बहाली प्रक्रिया के पैटर्न पर व्याख्याता अभ्यर्थी संघ ने आपत्ति जतायी है और उसका विरोध भी शुरू कर दिया है. रविवार को विज्ञापन के संबंध में जानकारी मिलने के साथ ही अभ्यर्थियों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है. उन्होंने पूरी बहाली प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े कर दिये हैं. छात्रों ने लिखित परीक्षा लेने या पूर्व के ही पैटर्न पर बहाली करने की मांग की है.
छात्रों ने 2009 के रेगुलेशन से पीएचडी होने की अर्हता पर भी आपत्ति दर्ज की है. उन्होंने कहा कि राज्य में अभी तक किसी भी यूनिवर्सिटी के द्वारा 2009 के रेगुलेशन से एक भी पीएचडी जारी नहीं किया, तो फिर इस अर्हता का क्या मतलब है. संघ के अध्यक्ष डॉ मिथिल चंद्र मुकुल ने कहा कि इसका मतलब यह है कि सरकार पीएचडी छात्रों को लेना ही नहीं चाहती है. पुराने को वह लेगी नहीं और नये को अभी डिग्री ही नहीं मिली है. इस प्रकार इतने छात्र जिन्होंने पीएचडी किया है, उनकी क्या गलती है.
समाजवादी छात्र सभा के धीरज सिंह यादव कहते हैं कि पीएचडी रेगुलेशन में बाद में बदलाव हुआ, तो बाद के छात्र (जो 2009 के रेगुलेशन के पीएचडी कर रहे हैं) के लिए यह नियम तो समझ में आता है, लेकिन उससे पहले के छात्रों के डिग्री का क्या होगा. उन्होंने कहा कि बिहार में जो शैक्षणिक माहौल है और जिस प्रकार से परीक्षा में अंक लाये जाते हैं, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है. ऐसे में एकेडमिक पर 85 प्रतिशत वेटेज देना सरकार की दोहरी मानसिकता का परिचायक है. यह बिहारी व्याख्याता अभ्यर्थियों के साथ मजाक है.