3360 पंचायतों में लटकीं 302 करोड़ की योजनाएं

15 जिलों ने पहली किस्त के लिए नहीं भेजा प्रस्ताव उपविकास आयुक्तों को दो बार पत्र लिखे जाने के बाद भी नहीं भेजे गये प्रस्ताव पटना : अधिकारियों की सुस्ती के कारण राज्य के 15 जिलों की 3360 पंचायतों में पिछड़ा क्षेत्र अनुदान (बीआरजीएफ) योजनाएं अधर में लटकी हैं. इन पंचायतों को 302.72 करोड़ की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2014 8:37 AM

15 जिलों ने पहली किस्त के लिए नहीं भेजा प्रस्ताव

उपविकास आयुक्तों को दो बार पत्र लिखे जाने के बाद भी नहीं भेजे गये प्रस्ताव

पटना : अधिकारियों की सुस्ती के कारण राज्य के 15 जिलों की 3360 पंचायतों में पिछड़ा क्षेत्र अनुदान (बीआरजीएफ) योजनाएं अधर में लटकी हैं. इन पंचायतों को 302.72 करोड़ की राशि मिलने में देरी होगी. यदि राशि मिल भी जाये, तो इस वित्तीय वर्ष में खर्च करना मुश्किल होगा. इन जिलों से पहली किस्त के लिए सरकार को प्रस्ताव ही नहीं मिले हैं. समय पर पैसा खर्च नहीं हुआ, तो आगामी वित्तीय वर्ष में कटौती की आशंका रहेगी. विभाग ने सभी उपविकास आयुक्तों को इस साल दो बार पत्र लिखा.

पहली बार उन्हें 15 फरवरी और दूसरी बार 25 जून तक वार्षिक योजना का प्रस्ताव भेजने को कहा गया था. पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव शशि शेखर शर्मा ने सात अप्रैल, 2014 को सभी उपविकास आयुक्तों को पत्र भेज कर 25 जून तक वार्षिक योजना उपलब्ध कराने को कहा था. गत गुरुवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पंचायती राज विभाग की योजनाओं की समीक्षा की, तो पाया कि 15 जिलों द्वारा योजना का प्रस्ताव ही नहीं भेजा गया है.

कहां खर्च होती है राशि

इस योजना की राशि का उपयोग त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं द्वारा किया जाता है. यह राशि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाती है. इसका उपयोग विकास कार्यो के गैप को भरने के लिए किया जाता है. इसमें ग्राम पंचायत, पंचायत समिति व जिला पर्षद अपने अधीन वैसी योजनाओं का चयन कराती है, जिनका काम किसी योजना द्वारा नहीं किया गया या अधूरी रह गयी है. इसके तहत पेयजल की सुविधा, छोटे-छोटे संपर्क मार्ग का निर्माण, अस्पताल के लिए भवन, सफाई की व्यवस्था, आंगनबाड़ी भवन का निर्माण, पंचायत भवन, रोशनी आदि कार्य कराये जाते हैं. इसके अलावा जनप्रतिनिधियों का क्षमतावर्धन व आइटी सेंटर की स्थापना करना है.

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