तीन साल से बिना न्याय मित्र के ग्राम कचहरियां

पटना : सूबे की ग्राम कचहरियां तीन साल से बिना न्याय मित्र के ही चल रही हैं. जुलाई, 2011 में 8402 नयी ग्राम कचहरियों के गठन के बाद से सरपंचों को कानूनी सलाह देनेवाला कोई नहीं है. इसका खुलासा मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की मौजूदगी में गत दिनों हुई पंचायतीराज विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2014 4:48 AM

पटना : सूबे की ग्राम कचहरियां तीन साल से बिना न्याय मित्र के ही चल रही हैं. जुलाई, 2011 में 8402 नयी ग्राम कचहरियों के गठन के बाद से सरपंचों को कानूनी सलाह देनेवाला कोई नहीं है. इसका खुलासा मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की मौजूदगी में गत दिनों हुई पंचायतीराज विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में हुआ.

बैठक में न्याय मित्रों के सभी पद रिक्त बताये गये. इधर, न्याय मित्र संघ का मानना है कि 13 दिसंबर, 2013 को ही न्याय मित्रों को सेवा का विस्तार दे दिया गया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विधानमंडल में सेवा विस्तार की घोषणा की गयी थी. दरअसल, पंचायती राज अधिनियम व न्याय मित्र नियमावली कहती है कि न्याय मित्रों का कार्यकाल कचहरियों के कार्यकाल के साथ ही समाप्त हो जायेगा.
* कचहरी सचिवों के भी 1130 पद खाली
ग्राम कचहरी में दो अधिकारियों ग्राम कचहरी सचिव व न्याय मित्र की महत्वपूर्ण भूमिका है. सूबे की 8402 ग्राम कचहरियों में 1130 कचहरी सचिवों के पद रिक्त हैं. जबकि, सभी ग्राम कचहरियों में न्याय मित्रों का पद रिक्त है. न्याय मित्र नियमावली में यह प्रावधान किया गया है कि वे सरपंच, उपसरपंच व पंच न्यायिक के कर्तव्यों के निर्वहन व निष्पादन में हर कानूनी पहलू की जानकारी देंगे.
कोई भी वाद कचहरी के सुनवाई के योग्य है या नहीं, कोई वाद कचहरी के किसी न्यायपीठ द्वारा संज्ञान लिया जा सकता है या नहीं, इसके निर्धारण में न्याय मित्र विधिक सहायता देगा. न्यायपीठ के समक्ष लाये जानेवाले वादों की सुनवाई संबंधित तारीखों को सरपंच द्वारा निदेशित पत्रकों को लिखने में सहयोग करना न्यायमित्र का काम है.
न्याय मित्रों की बहाली के लिए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन की जरूरत है. सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है.
।। विनोद प्रसाद यादव ।।
पंचायती राज मंत्री

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