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जानकारी के बाद भी हुई घटिया दवाओं की आपूर्ति

मोदी ने फिर की सीबीआइ जांच की मांग पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने एक बार फिर मांग की कि सरकार ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से ऊंची दर पर स्तरहीन दवाओं व उपकरणों की खरीद की जांच सीबीआइ से कराये. मंगलवार को अपने आवास पर जनता दरबार के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि […]

मोदी ने फिर की सीबीआइ जांच की मांग
पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने एक बार फिर मांग की कि सरकार ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से ऊंची दर पर स्तरहीन दवाओं व उपकरणों की खरीद की जांच सीबीआइ से कराये. मंगलवार को अपने आवास पर जनता दरबार के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि जांच में स्तरहीन दवाओं की जानकारी मिलने के बावजूद दो माह तक अस्पतालों में आपूर्ति जारी रही.
16 अप्रैल, 2014 को ही बीएमएसआइसीएल को जांच रिपोर्ट के आधार पर दवा की आपूर्ति पर रोक लगा देनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि अरविंद साह नामक मरीज की मौत के एक माह बाद भागलपुर मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक ने 17 जून, 2014 को बीएमएसआइसीएल को इसकी सूचना दी और दवा वापस करने का आग्रह किया.
मोदी ने कहा कि कुल मिला कर 16 बैचों की दवाएं जांच में स्तरहीन पायी गयीं, पर इसकी सूचना न ही ड्रग इंस्पेक्टर को दी गयी और न ही दवाएं ससमय वापस की गयीं. इस स्तरहीन दवा से कितने की मौत हुई है, इसकी बीएमएसआइसीएल को कोई जानकारी नहीं है. सरकारी लापरवाही से अरविंद साह की मौत हुई, पर उसके परिजन को मुआवजा नहीं मिला है. उसका परिवार भुखमरी का शिकार है, पत्नी आत्महत्या के लिए तैयार बैठी है.
निष्पक्ष जांच से भाग रहे नीतीश : मोदी ने कहा कि दवा घोटाले से संबंधित सभी दस्तावेज मुख्यमंत्री सचिवालय को उपलब्ध कराये गये थे. पीआइएल भी दायर की गयी. बिना मंत्री के आदेश के कोई विभाग पीआइएल के विरुद्ध काउंटर एफिडेविट नहीं कर सकता है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री की जिम्मेवारी भी तो होती है. नीतीश कुमार अपने नजदीकी को बचाने के लिए निष्पक्ष जांच से भाग रहे हैं. भाजपा के बिहार बचाओ-बिहार बनाओ कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को दवा घोटाले की जानकारी दी जायेगी.
सीवान स्थानीय निकाय प्राधिकार से जीते भाजपा उम्मीदवार टुन्ना जी पांडेय पर मंत्री विजय कुमार चौधरी के बयान पर मोदी ने कहा कि क्या बिहार में शराब का व्यवसाय गलत है? यदि गलत है, तो वे रोक क्यों न लगवा देते हैं. जदयू प्रत्याशी अजय कुमार सिंह दो दर्जन मामले के आरोपित हैं. हमारे विरोधियों का महागंठबंधन नहीं, महालठबंधन है. लालू प्रसाद जहां जायेंगे, वे लाठी में तेल ही पिलायेंगे.
रिपोर्ट देने में देरी क्यों की
पटना : दवा घोटाले की जांच रिपोर्ट में देरी करने पर डॉ केके सिंह की कमेटी से मंगलवार को स्पष्टीकरण मांगा गया है. स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने स्पष्टीकरण मांगने की फाइल पर मंगलवार की शाम सहमति दे दी. डॉ सिंह को जांच रिपोर्ट सात दिनों में विभाग को सौंपनी थी, लेकिन उन्होंने सात माह लगा दिये. उन पर आरोप है कि देरी होने से राजस्व का घाटा हुआ और इस कारण से जांच के निर्णय पर पहुंचने में देर लग रही है.
स्पष्टीकरण के बारे में जब डॉ सिंह से बात की गयी, तो उनका कहना था कि हमारी रिपोर्ट के कारण राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ है. जिन लोगों ने गलत ढंग से गलत दवाओं की खरीद कर अस्पतालों में भेजा है, उनके कारण जरूर राजस्व का घाटा हुआ है. जहां तक रिपोर्ट में देर होने की बात है, तो हमारे पास जब स्पष्टीकरण आयेगा, तो उसका जवाब देंगे.
इनसे मांगा गया स्पष्टीकरण :डॉ केके सिंह (अवर निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं ), डॉ मधुरेंद्र किशोर (संयुक्त निदेशक , स्वास्थ्य सेवाएं) , डॉ आविद हुसैन (संयुक्त निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं), डॉ सुभाष चंद्र राय (अनुज्ञापन प्राधिकारी) व रमेश कुमार (सहायक औषधि नियंत्रक).

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