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एक साथ बुझे दो घरों के ‘दीपक’

पटना: गंगा नदी के अदालत घाट में दो घरों का दीपक एक साथ बुझ गया. दरअसल मंगलवार की शाम को नदी में डूबने से दो युवक की मौत हो गयी. इनका शव बुधवार की सुबह गोताखोरों की मदद से बाहर निकाला गया. दोनों युवक अपने घर में इकलौता था. युवकों के साथ उनके घरवालों का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:48 PM

पटना: गंगा नदी के अदालत घाट में दो घरों का दीपक एक साथ बुझ गया. दरअसल मंगलवार की शाम को नदी में डूबने से दो युवक की मौत हो गयी. इनका शव बुधवार की सुबह गोताखोरों की मदद से बाहर निकाला गया.

दोनों युवक अपने घर में इकलौता था. युवकों के साथ उनके घरवालों का सपना भी डूब गया. दरअसल हुआ ये कि अदालत घाट पर मंगलवार को दीपक कुमार (अशोक नगर, रोड संख्या-14) नहाने गया था. इस दौरान ये डूबने लगा. इसे डूबता देख इसका दोस्त रोहन उसे बचाने कूदा, फिर रोहन को बचाने के लिए विक्की (अशोक नगर, रोड संख्या-8ए) ने भी गंगा में छलांग लगा दी. इस पूरी घटना में दीपक व विक्की की डूबने से मौत हो गयी. बताया जाता है कि दीपक के कपड़े भी घाट किनारे से मंगलवार की रात बरामद किया गया था.

बुधवार सुबह गोताखोरों ने आलमगंज घाट से लेकर अदालतघाट तक शव की खोज की. इस दौरान अदालत घाट से कुछ दूरी पर पहले विक्की का शव बरामद किया गया और उससे कुछ दूरी पर दीपक का शव बरामद किया गया. पुलिस ने पोस्टमार्टम करा कर दोनों के शव को परिजनों के हवाले कर दिया है. परिजनों ने दोनों के शव का अंतिम संस्कार आज गुलबी घाट पर कर दिया. पीरबहोर थानाध्यक्ष एसए हाशमी ने दोनों शवों के बरामदगी की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में यूडी केस दर्ज कर छानबीन की जा रही है.

2007 में हुई थी भाई की मौत
दीपक और विक्की अपने-अपने घर के इकलौते बेटे थे. दीपक घर में अकेला भाई था और उसकी तीन बहन थी. दीपक के पिता बदरी प्रसाद खाना बनाने का काम करते थे. इसी प्रकार विक्की भी इकलौता बेटा था. हालांकि उसका एक और भाई मुचु था, जिसकी 2007 में रेनबो मैदान के नाले में गिरने से मौत हो गयी थी. जिसके कारण वह अकेला ही परिवार का सहारा था.

एक ही है लाइसेंसी गोताखोर
जिला प्रशासन के पास मात्र एक ही लाइसेंसी गोताखोर राजेन्द्र साहनी है. किसी प्रकार की घटना होने पर राजेन्द्र साहनी से ही संपर्क किया जाता है. बाकी स्थानीय और प्राइवेट गोताखोरों की मदद से अब तक काम चलाया जाता रहा है. लेकिन घाटों की संख्या के अनुसार एक लाइसेंसी गोताखोर ही होना अपने आप में हास्यास्पद है.

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