पटना : बिहार सरकार ने पटना में दशहरे के मौके पर गांधी मैदान के बाहर मचे भगदड़ पर नगर निगम से रिपोर्ट मांगी है. सरकार ने गांधी मैदान के प्रवेश द्वार के बाहर लगे खराब हाई मैस्ट लाइटों को लेकर नगर निगम से रिपोर्ट मांगी है. खराब लाइट के वजह को भगदड़ के लिए कारण माना जा रहा है. बताते चलें कि भगदड की वजह से 33 लोग मारे गए थे और 29 अन्य घायल हुए थे.
बिहार के शहरी विकास मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, मैंने पटना नगर निगम (पीएमसी) से रामगुलाम चौक की तरफ खुलने वाले गेट पर लगे उंचे खंभों वाली लाइटों को लेकर रिपोर्ट सौंपने को कहा है, इसी जगह तीन अक्तूबर को भगदड हुई थी. रिपोर्ट शुक्रवार को सौंपी जाएगी. इसमें दशहरे के दिन गांधी मैदान में लाइटों की स्थिति और आम इंतजामों का उल्लेख होगा.
मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों को कडी सजा दी जाएगी. दो सदस्यीय जांच समिति के समक्ष पेश हुए प्रत्यक्षदर्शियों और सकुशल बचे लोगों ने उंचे खंभे पर लगी लाइटों के काम न करने की वजह से मौजूद अंधेरे को भगदड की एक बडी वजह बताया था.
सकुशल बचे कुछ लोगों ने प्रधान सचिव (गृह) अमीर सुबहानी और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पांडे की सदस्यता वाली जांच समिति को बताया कि अंधेरे की वजह से लोग टूटे बाड नहीं देख पाए जिसकी वजह से कुछ महिलाएं गिर पडी और भगदड शुरु हो गयी. पीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि भगदड के बाद पता चला कि उनमें से एक लाइट की तार चोरी कर ली गयी थी जिसकी वजह से 400 वाट का सीएफएल उस दिन काम नहीं कर रहा था.
अधिकारी ने कहा कि उंचे खंभे वाली लाइटों के लिए पटना इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई अंडरटेकिंग (पीईएसयू) विद्युत आपूर्ति करता है जबकि पीएमसी की जिम्मेदारी मैदान की सफाई की है. लेकिन जनसुविधा के लिए पीएमसी लाइटों के रखरखाव में मदद करती है. पीईएसयू के अधिकारियों ने कहा कि गांधी मैदान के अंदर और आसपास 8 उंचे खंभों वाली लाइटें लगी हैं और प्रत्येक में 400 वाट के 12 सीएफएल लगे हैं.
इसी बीच आज जांच समिति के समक्ष 16 और लोग पेश हुए. कल कुल 51 लोगों ने अपने बयान दर्ज कराए थे. जांच समिति कल पटना के पूर्व जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज का बयान दर्ज करेगी. भगदड के बाद चार अधिकारियों का तबादला कर दिया गया था जिनमें ये दोनों शामिल थे.