अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में मोदी ने कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बचा रही है. इसलिए भ्रष्टाचार के आरोपित अधिकारियों पर अब तक कोई एफआइआर दर्ज नहीं की गयी है. घोटाले के सभी आरोपितों पर एफआइआर दर्ज कराने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारियों की संपत्ति की जांच की जाये. उन पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज हो. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने तो मेरे पत्र का जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा, पर मुख्य सचिव ने अपने जवाब में कहा है कि संजय कुमार केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारी हैं. वे 20 जनवरी, 2006 से 28 अगस्त, 2006 तक नीतीश कुमार के आप्त सचिव थे.
27 सितंबर, 2011 को उन्हें स्वास्थ्य विभाग में संयुक्त सचिव बनाया गया. इस अवधि में नीतीश कुमार सामान्य प्रशासन विभाग के प्रभार में थे. यह पदस्थापना मंत्री की अनुमति से ही की जाती है. उन्होंने कहा कि पत्र में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने स्वीकार किया है कि डॉ केके सिंह की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गयी, तब भी निगरानी विभाग का प्रभार नीतीश कुमार के पास था. मोदी ने कहा है कि पत्र में मुख्य सचिव ने स्वीकार किया है कि तकनीकी मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष संजय कुमार ने जब दवा, उपकरण आदि की खरीद का निर्णय किया, उस समय भी नीतीश कुमार स्वास्थ्य मंत्री थे.