33 आवेदनों पर कार्रवाई नहीं

पटना सिटी: समस्याओं के समाधान के लिए पीड़ितों की फरियाद विभाग के बाबुओं की फाइलों में सिमट कर रह जाती है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए वृद्ध, विकलांग व विधवा हाथों में कागज लिए उम्मीद के साथ अनुमंडल पदाधिकारी के जनता दरबार में पहुंचते हैं कि हाकिम दिये आवेदन पर कार्रवाई कर समस्या सुलझायेंगे. हाकिम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:48 PM

पटना सिटी: समस्याओं के समाधान के लिए पीड़ितों की फरियाद विभाग के बाबुओं की फाइलों में सिमट कर रह जाती है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए वृद्ध, विकलांग व विधवा हाथों में कागज लिए उम्मीद के साथ अनुमंडल पदाधिकारी के जनता दरबार में पहुंचते हैं कि हाकिम दिये आवेदन पर कार्रवाई कर समस्या सुलझायेंगे. हाकिम पीड़ा सुन मामले की जांच का आदेश अधीनस्थ अफसरों, संबंधित विभाग व थानाध्यक्षों को देकर आवेदन भेज देते हैं, लेकिन सच्चई यह है कि फरियाद की फाइल संबंधित विभाग के बाबुओं के पास दम तोड़ती है.

फतुहा में फेंके मिले थे आवेदन
इस बात का उदाहरण यह है कि एसडीओ जय प्रकाश सिंह ने निरीक्षण के दौरान फतुहा प्रखंड कार्यालय से सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तीन सौ आवेदन अलमारी के पीछे फेंका पाया था. इन आवेदानों को जब्त कर लिया गया था.

जब पीड़ित को यह लगता है कि फरियाद पर सुनवाई नहीं हो रही, तब वह फिर जनता दरबार का दरवाजा खटखटाता है. अनुमंडल प्रशासन ने 35 दिनों के अंदर आये 91 आवेदनों में 33 पर स्मारितपत्र (रिमांइडर) भेज कर पूछा है कि सुनवाई व कारवाई में देर क्यों हो रही है. देरी की वजह क्या है. आठ मई से लेकर 12 जून के बीच में 91 आवेदन बुधवार को लगनेवाले जनता दरबार में फरियादियों ने दिये. 14 मई से छह जून के बीच मिले आवेदनों में 33 पर स्मारितपत्र भेजा गया ताकि आवेदन का निष्पादन किया जा सके.

छह माह में 281 आवेदन
अनुमंडल में लगनेवाले जनता दरबार में खुसरूपुर, फतुहा व दनियावां के साथ पटना सिटी के दस थाना क्षेत्रों में रहनेवाले लोग अपनी पीड़ा सुनाने पहुंचते हैं.

जनता दरबार में इस वर्ष जनवरी से लेकर 12 जून के बीच 281 लोगों ने आवेदन देकर अपनी पीड़ा सुनायी है. इनमें जमीन विवाद, पड़ोसी से विवाद, कारखानों से हो रही परेशानी, संपत्ति विवाद , मकान मालिक -किरायेदार विवाद , घरेलू विवाद आदि से जुड़े मामले हैं. इनके अलावा भी अन्य परेशानियों से जुड़े मामलों पर एसडीओ जनता दरबार में सुनवाई करते हैं.

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