संवाददाता, पटना
बच्चों की संख्या बढ़ती है तो बनेगा सेक्शन
स्कूल के मर्ज करने के बाद यदि एक कक्षा में बच्चों की संख्या बढ़ती है तो उक्त कक्षा को ए, बी और सी सेक्शन में बांट दिया जायेगा. एक कक्षा में कम से कम 35 बच्चे होनी चाहिये और नियमानुसार 35 बच्चे पर एक शिक्षक होने चाहिये. स्कूलों के मर्ज होने के बाद बच्चों के अनुपात से शिक्षक अधिक होते है तो उनको अन्य स्कूल में स्थानांतरण किया जायेगा, जहां शिक्षकों की कमी होगी.स्कूल मर्ज होने से होंगे यह फायदे
राजधानी में बहुत ऐसे स्कूल जो एक ही मुहल्ले में एक परिसर में, एक जगह पर तीन से चार स्कूल संचालित हो रहे हैं. जिसकी वजह से मुहल्ले बच्चे स्कूल के हिसाब से पांच भाग में बंट जाते हैं. इसके वजह से स्कूल में निर्धारित सीट अनुपात में नामांकित बच्चों की संख्या कम हो जाती है. मर्ज होने से यह समस्या खत्म हो जायेगी. दूसरा फायदा होगा कि तीन से चार जगह मध्याह्न भोजन बनने की बजाय एक ही जगह मध्याह्न भोजन बनेगा. पहले एक परिसर में जितने स्कूल संचालित होते है उनको मध्याह्न भोजन बनाने के लिये अलग-अलग कमरा देना पड़ता था. तीसरा फायदा होगा कि एक स्कूल में एक प्रधानाध्यापक का कक्ष रहेगा. इससे होगा कि अपने आप कमरे की संख्या बढ़ जायेगी और कक्षा संचालित करने में आसानी होगी.कोट
एक ही परिसर में एक से अधिक संचालित हो रहे स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी पूरी कर ली गयी है. जून तक इस कार्य को पूरा कर लिया जायेगा. इस निर्णय से स्कूलों को कमरे की दिक्कत नहीं होगी. शिक्षण कार्य भी बेहतर ढंग से संचालित हो सकेगा.- संजय कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पटना.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है