16 वें वित्त आयोग की बैठक आज से नालंदा में
बिहार में आधारभूत संरचना के विकास के लिए विशेष आर्थिक सहायता की जरूरत है. परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े प्रदेश को विशेष मदद मिलनी चाहिए.
आधारभूत संरचना के विकास के लिए विशेष आर्थिक सहायता जरूरी संवाददाता,पटना बिहार में आधारभूत संरचना के विकास के लिए विशेष आर्थिक सहायता की जरूरत है. परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े प्रदेश को विशेष मदद मिलनी चाहिए. इस दिशा में बिहार के आर्थिक विशेषज्ञ अपनी अनुशंसाएं 16 वें वित्त आयोग को देंगे. मंगलवार से दो दिवसीय पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक का आयोजन नालंदा में होगा. इसमें 16 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया शामिल होंगे और पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की राय जानेंगे. इस बैठक में बिहार के अतिरिक्त झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा के वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ एवं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के अधिकारी शामिल होंगे. इस बैठक में मुख्यत: वित्त आयोग के टर्म ऑफ रेफरेंस के साथ केंद्र और राज्यों के बीच कर हस्तांतरण एवं राजस्व वृद्धि के उपायों पर चर्चा की जायेगी. 16 वें वित्त आयोग की इस बैठक में बिहार से दो आर्थिक विशेषज्ञ शामिल होंगे. इनमें आद्री (एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट) की सदस्य सचिव डॉ अस्मिता गुप्ता और आइआइटी, पटना के प्रो नलिन भारती शामिल होंगे. बैठक में राज्यों के विशेषज्ञ आपदा प्रबंधन पहल के तहत वित्त-पोषण की वर्तमान व्यवस्था पर अपनी राय देंगे. बिहार को विकसित राज्यों के समकक्ष लाने के लिए उपायों पर दिया जायेगा सुझाव आद्री की सदस्य सचिव डॉ अस्मिता गुप्ता ने बताया कि बिहार लंबे समय से आर्थिक रूप से पिछले पायदान पर बना हुआ है, जबकि विकसित राज्य आगे ही बढ़ते जा रहे हैं.पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में बिहार को विकसित राज्यों के समकक्ष लाने के लिए उपायों को लेकर सुझाव दिया जायेगा.इसमें बिहार जैसे पिछड़े राज्य में विशेष पूंजी का निवेश, आधारभूत संरचना के विकास पर जोर, परिसंपत्तियों के निर्माण, विकसित राज्यों के साथ समानीकरण को लेकर जोर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि राजस्व बंटवारे को लेकर वर्तमान फाॅर्मूले से इतर विशेष उपाय किए जाने की जरूरत है, इस ओर वित्त आयोग का ध्यान आकृष्ट कराया जायेगा. एक अप्रैल 2026 से 2031 तक के लिए वित्त आयोग करेगा अनुशंसा मालूम हो कि, 16 वें वित्त आयोग द्वारा एक अप्रैल 2026 से 2031 तक के अगले पांच वर्षों की अवधि के लिए केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी और अनुदान इत्यादि के बारे में अपनी अनुशंसाएं केंद्र सरकार से की जानी है.15 वें वित्त आयोग की कई अनुशंसाओं पर बिहार ने आपत्ति जतायी थी. बिहार ने 2011 की जनगणना के स्थान पर नवीनतम जनसंख्या को आधार बनाकर राज्यों के बीच संसाधनों के आवंटन का आग्रह किया था. इसके पीछे जनगणना आधार में परिवर्तन से सामाजिक- राजनीतिक क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना किया जाना बताया गया था. इसके अतिरिक्त वन क्षेत्र के स्थान पर हरियाली क्षेत्र को राजस्व बंटवारे को आधार बनाने का आग्रह किया गया था.
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