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निवेश करें या रास्ता नापें
नॉन सीरियस निवेशकों को बाहर का रास्ता दिखायेगी सरकार पटना : जमीन और आधारभूत सुविधाओं का जुगाड़ नहीं कर सकनेवाले नॉन सीरियस निवेशकों को सरकार बाहर का रास्ता दिखायेगी. प्रदेश में इस तरह के सवा दो सौ लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव लंबित हैं, जिन्हें या तो कोल लिंकेज और जमीन नहीं मिल सका […]
नॉन सीरियस निवेशकों को बाहर का रास्ता दिखायेगी सरकार
पटना : जमीन और आधारभूत सुविधाओं का जुगाड़ नहीं कर सकनेवाले नॉन सीरियस निवेशकों को सरकार बाहर का रास्ता दिखायेगी. प्रदेश में इस तरह के सवा दो सौ लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव लंबित हैं, जिन्हें या तो कोल लिंकेज और जमीन नहीं मिल सका है या फिर शर्त के आधार पर बिजली बेचने को तैयार नहीं हैं.
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में करीब दो घंटे तक चली उद्योग कैबिनेट की पहली बैठक में सरकार ने साफ शब्दों में कहा कि सीरियस निवेशकों को सरकार बेहतर सुविधा मुहैया करायेगी और जिन्हें रुचि नहीं है उसे निवेशकों की सूची से बाहर किया जायेगा.
272 इकाइयों में 7465 करोड़ का निवेश : उद्योग विभाग के प्रधान सचिव नवीन वर्मा ने कहा कि वर्तमान में राज्य में 272 इकाइयों में 7465 करोड़ का निवेश है, जिनमें उत्पादन चल रहा है.176 इकाई का निर्माण कार्य जारी है. सर्वाधिक इकाई फूड प्रोसेसिंग में हैं. इसके बाद स्टील और सीमेंट में निवेश हुए. बैठक में फ्रेट कॉरीडोर के इर्द-गिर्द 25 सौ एकड़ क्षेत्र में औद्योगिक शहर के निर्माण का निर्णय लिया गया. प्रधान सचिव ने कहा कि बिजली उत्पादन संबंधित वैसे इकाइयों को निवेशकों की सूची से बाहर किया गया है, जिन्हें कोल लिंकेज नहीं मिल सका है. इनमें अधिकतर थर्मल इकाई से संबंधित थे. ऐसी कंपनियों के 33 प्रोजेक्ट में 225300 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव था. उन्होंने कहा कि जमीन नहीं खोज पाने वाले सोलर पावर प्लांट को भी सूची से बाहर किया जायेगा.
ऊर्जा विभाग को ऐसे कंपनियों की समीक्षा का निर्देश दिया गया है. कहा गया है कि बिजली खरीद के लिए टेंडर के आधार पर जिन कंपनियों ने समझौता नहीं किया है,वैसे कंपनियों को सूची से बाहर किया जाये.
सिंगल विंडो की व्यवस्था में सुधार का निर्देश : प्रधान सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री ने सिंगल विंडो की व्यवस्था में सुधार के निर्देश दिये हैं. उन्होंने इसकी कमी को दूर करने का निर्देश दिया है. उद्योगों के लिए ऑन लाइन आवेदन और दो माह में इसके निबटारा के निर्णय की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि अब उद्योग के लिए वाणिज्यकर,ऊर्जा,राजस्व एवं भूमि सुधार,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उद्योग, निबंधन और श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिवों की साप्ताहिक समीक्षा होगी.
मुख्य सचिव इसकी समीक्षा करेंगे. उद्योग मित्र की व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्णय की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हर विभाग के विशेषज्ञ को उद्योग मित्र बनाया जाये. सभी विभागों में चक्कर लगाने के बजाय एक ही ऑन लाइन आवेदन की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए वर्मा ने कहा कि इसका निबटारा दो माह में होगा. निवेश के लिए जमीन की समस्या को दूर करने के लिए हाइवे के समीप कम से कम 50 एकड़ जमीन का लैंड बैंक की इंतजाम करने का निर्णय किया गया है, लेकिन यह उद्योग की मांग के आधार पर होगा. उन्होंने कहा कि बियाडा से पूछा गया है कि निवेशकों द्वारा जमीन के लिए कितने आवेदन लंबित हैं.
25 सौ एकड़ में बसेगा औद्योगिक शहर
कैमूर,रोहतास,गया और औरंगाबाद में से किसी एक जिले में औद्योगिक शहर का निर्माण होगा. 2500 एकड़ जमीन की जानकारी देते हुए प्रधान सचिव ने कहा कि इन जिलों के डीएम से 20 दिन में ब्योरा मांगा गया है. शहर में 40 प्रतिशत उद्योग और शेष जमीन पर आवास और खुला क्षेत्र रहेगा. उन्होंने कहा कि शहर बसाने के लिए निजी निवेशक भी तैयार हैं. फूड प्रोसेसिंग,कृषि यंत्र,सुपर हॉस्पिटल व इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर के कई प्रस्ताव हैं.
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