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सिगरेट पर रोक क्यों नहीं?

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की घोषणा के करीब आठ घंटे के अंदर राज्य में सभी तरह के तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा दी गयी. लेकिन, सिगरेट की बिक्री को खुला छोड़ दिया गया. जबकि हर साल लाखों लोग सिगरेट पीने के कारण सीवीडी, टीबी, अस्थमा, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से पीड़ित रहे हैं. […]

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की घोषणा के करीब आठ घंटे के अंदर राज्य में सभी तरह के तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा दी गयी. लेकिन, सिगरेट की बिक्री को खुला छोड़ दिया गया. जबकि हर साल लाखों लोग सिगरेट पीने के कारण सीवीडी, टीबी, अस्थमा, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से पीड़ित रहे हैं. उनके इलाज पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. फिर भी इस पर प्रतिबंध नहीं लग रहा है. आखिर कब तक मौत के इस ‘धुएं’ से हमें मुक्ति मिलेगी.
बिहार की 54 प्रतिशत आबादी कर रही तंबाकू से बने उत्पादों का सेवन
पटना : स्वास्थ्य विभाग के सचिव आनंद किशोर ने बताया कि बिहार की 54 प्रतिशत आबादी तंबाकू एवं तंबाकू उत्पादों का सेवन करती है. इससे बिहार में कैंसर मरीजों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कैंसर 2010 के अनुसार बिहार में 2010 में तंबाकू संबंधित कैंसर से मृत्यु का प्रतिशत पुरुषों में 42 व महिलाओं में 18.3 प्रतिशत था, जिसमें सबसे अधिक लगभग दोगुना मृत्यु फेफड़े के कैंसर (चबाने वाला तंबाकू) से हुई है.
उसी जर्नल के अनुसार लगभग 1,20,000 (84,000 पुरुष एवं 36,000 महिला) लोगों की मृत्यु तंबाकू संबंधित कैंसर से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र को मिला कर हुई थी, जिसमें 20 प्रतिशत मृत्यु चबानेवाले तंबाकू से होनेवाले कैंसर से हुई थी. सचिव ने कहा कि वहीं जर्नल में बताया गया है कि एसियन पेसिफिक जर्नल ऑफ कैंसर प्रिभेंशन 2008 में साल 2001 से साल 2016 तक के लिए कैंसर का प्रोजेक्शन दिया गया है, जिसके अनुसार महिला एवं पुरुष दोनों को मिला कर साल 2001 में बिहार में 73800 कैंसर मामले दर्ज हुए थे, जो 2011 में बढ़ कर 95629 हो गया और साल 2016 में उसके बढ़ कर 109649 हो जाने की आशंका है. एक आंकड़े के अनुसार कैंसर के कारण मृत्यु संबंधी आंकड़ों में बिहार का स्थान महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश के बाद तीसरा स्थान है.
बिहार में तंबाकू से चार तरह की बीमारियां
बिहार में तंबाकू जनित चार तरह की बीमारियां कार्डियो वैसकुलर डिजीज (सीवीडी), कैंसर, टीबी व सांस की बीमारी होती हैं. इनके इलाज पर प्रतिवर्ष पुरुषों पर 345.8 करोड़ और महिलाओं पर 126.3 करोड़ खर्च होते हैं. इन बीमारियों को छोड़ कर अन्य सभी रोगों पर पुरुषों पर प्रतिवर्ष 886.5 करोड़, जबकि महिलाओं पर 454.01 करोड़ खर्च होते हैं. भारत में ये आंकड़े पुरुषों की चार बीमारियों पर 8438.1 करोड़, जबकि महिलाओं पर 1705.01 करोड़ रुपये हैं. इन चार बीमारियों के अलावा अन्य बीमारियों पर भारत में पुरुषों पर 24707.09 करोड़ रुपये और महिलाओं पर 6768.00 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.
बिहार में स्मोकिंग जनित बीमारी पर खर्च
बिहार में स्मोकिंग जनित सीवीडी, कैंसर, टीवी, सांस की बीमारी पर पुरुषों पर क्रमश: 31.2, 1.6, 25.1, 32.6 करोड़, तो महिलाओं पर 17.9, 13.6, 12.5, 5.5 करोड़ रुपये सीधा खर्च किये जाते हैं. यही अनुपात धुआं रहित तंबाकू सेवन करनेवाले पुरुषों पर 48.7, 1.1, 24.5, 00, तो महिलाओं पर 11.2, 17.5, 1.9,0.00 करोड़ रुपये है. इन्हीं बीमारियों पर अप्रत्यक्ष खर्च पुरुषों पर 14.9, 2.7, 49.8, 39.9 करोड़ रुपये आते हैं, जबकि महिलाओं पर 6.1, 8.6, 12.7, 1.9 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. इन्हीं बीमारियों पर धुआं रहित तंबाकू सेवन पर अप्रत्यक्ष खर्च पुरुषों पर 23.2, 1.8, 48.8, 0.00 करोड़ रुपये होते हैं, वहीं महिलाओं पर 3.8, 11.0, 1.9, 0.00 करोड़ रुपये खर्च किये जाते हैं.
क्या है कोटपा कानून
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे न तंबाकू वाले पदार्थ बेच सकते हैं और न ही उसे खरीद सकते हैं.
स्कूल-कॉलेजों के सौ गज के दायरे में तंबाकू वाले पदार्थ से संबंधित सामान की दुकान नहीं होनी चाहिए.
हर दुकान में लिखा होना चाहिए कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे तंबाकू वाले पदार्थ नहीं खरीद सकते हैं.
तंबाकू सेवन से होनेवाली समस्याएं
तंबाकू के सेवन से सिर-गरदन की बीमारी के साथ ही गले और फेफड़े के कैंसर के मामले सबसे अधिक होते हैं, जिन्हें रोका जा सकता है. सभी प्रकार के कैंसरों में तंबाकू सेवन से जुड़े कैंसर का प्रतिशत 40 है. धूम्रपान करनेवाले 89 प्रतिशत व्यक्ति 18 साल तक तंबाकू सेवन का आदी हो जाते हैं
टीनएजर लड़के-लड़कियां धूम्रपान करते हैं, उनमें से 50 प्रतिशत लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित होकर मर जाते हैं. धूम्रपान करनेवाले व्यक्ति की आयु धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति की तुलना में 22 से 26 प्रतिशत घट जाती है.
तंबाकू का सेवन इन स्थलों पर कैंसर पैदा करता है, जिनमें मुंह, गला, फेफड़ा, कंठ, खाने की नली, मूत्रशय, गुर्दा, पेनक्रियाज, सेरविक्सा प्रमुख हैं.
तंबाकू के सेवन से लंबे समय तक पीड़ित रखने वाली ब्रोंकाइटिस और इम्फीसिया की बीमारी होती है. इनमें सांस लेने में तकलीफ होती है.
तंबाकू सेवन से हृदय और रक्त संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ती हैं. इस बुरी आदत से होनेवाली अधिकांश मौतें दिल के दौरा पड़ने से होता है.
तंबाकू के सेवन से पुरुषों में नपुंसकता, वहीं महिलाओं में जनन क्षमता में कमी या बांझपन जैसी समस्याएं होती हैं.
धूम्रपान से सांस में बदबू पैदा होती है. बाल, कपड़े और हाथ मैले हो जाते हैं, दांत व उंगलियां दागदार हो जाते हैं तथा मुंह व आंखों के ईद-गिर्द झुर्रियां आ जाती हैं.
दूसरे लोगों के धूम्रपान करने का असर सामने खड़े लोगों पर तेजी से पड़ता है.
एक सिगरेट पीने पर मनुष्य की उम्र 14 मिनट तक घट जाती है.
सिगरेट पीनेवाले में फेफड़े का कैंसर होने का खतरा 20 से 25 गुना, दिल का दौरा पड़ने का खतरा 2-3 गुना तथा अचानक मौत होने का खतरा तीन गुना अधिक रहता है. सामान्य व्यक्ति की तुलना में उनमें 30-60 प्रतिशत अधिक बीमारी होने की आशंका बनी रहती है.

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