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‘कचरे’ में फंसी सफाई

पटना : नगर निगम क्षेत्र को स्वच्छ रखने के लिए भारत सरकार की नुरूम योजना के तहत वर्ष 2008 में 26 करोड़ रुपये मिले, लेकिन छह साल बाद भी ठोस कचरा प्रबंधन योजना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी. शहर की नियमित सफाई होगी और घर-घर से कचरा कलेक्शन की शहरवासियों की आस अब तक […]

पटना : नगर निगम क्षेत्र को स्वच्छ रखने के लिए भारत सरकार की नुरूम योजना के तहत वर्ष 2008 में 26 करोड़ रुपये मिले, लेकिन छह साल बाद भी ठोस कचरा प्रबंधन योजना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी. शहर की नियमित सफाई होगी और घर-घर से कचरा कलेक्शन की शहरवासियों की आस अब तक पूरी नहीं हो सकी है.

पिछले वर्ष जून-जुलाई में हुई नगर निगम की स्थायी समिति व निगम बोर्ड की बैठक में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन और इसके लिए उपकरणों की खरीद की स्वीकृति दी गयी. इसके बाद क्रय समिति ने टेंडर भी निकाला, लेकिन समिति की सिफारिश को स्थायी समिति मानने को तैयार नहीं हुई. पिछले 21 अक्तूबर को डिप्टी मेयर की अध्यक्षता में हुई बोर्ड की विशेष बैठक में उपकरण खरीद व डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए एजेंसी चयनित करने का निर्णय लिया गया है. लेकिन, यह मामला हाइकोर्ट में चला गया है.

रिसाइकिलिंग प्लांट का रास्ता साफ : निगम क्षेत्र से उठाव किये गये कचरा का सही डिस्पोज हो, इसके लिए बैरिया में 72 एकड़ भूखंड अधिग्रहण किया गया. इस भूखंड पर वर्षो पहले रिसाइकिलिंग प्लांट लगाने की योजना बनायी गयी, जिसका रास्ता अब साफ हो गया है. नगर विकास विभाग के निर्देश पर बुडको ने एजेंसी चयनित कर कार्य का आवंटन कर दिया है. चयनित एजेंसी दो प्लांट लगायेगी. एक प्लांट बिजली उत्पादन करेगा और दूसरा खाद बनायेगा. चयनित एजेंसी ने प्रारंभिक कार्य भी शुरू कर दिया है.

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