जंकशन की तीसरी आंख को ‘रतौंधी’
पटना : पटना जंकशन के प्लेटफॉर्मो से लेकर रेलवे पुलों पर संदिग्ध व्यक्तियों की हरकतों पर नजर रखने को लगायी गयी तीसरी आंख कमजोर पड़ रही है. निगेहबानी को लेकर लगाये गये सीसीटीवी कैमरों में जहां एक तरफ अधिकांश की पिर क्वालिटी खराब हो गयी है, वहीं सतर्कता को लेकर अतिरिक्त कैमरे लगाये जाने का […]
पटना : पटना जंकशन के प्लेटफॉर्मो से लेकर रेलवे पुलों पर संदिग्ध व्यक्तियों की हरकतों पर नजर रखने को लगायी गयी तीसरी आंख कमजोर पड़ रही है. निगेहबानी को लेकर लगाये गये सीसीटीवी कैमरों में जहां एक तरफ अधिकांश की पिर क्वालिटी खराब हो गयी है, वहीं सतर्कता को लेकर अतिरिक्त कैमरे लगाये जाने का प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चला गया है.
इस पर सवाल पूछे जाने पर अधिकारी भी कुछ बोलने से कतरा रहे हैं. दरअसल इससे पहले रेल एसपी रह चुके उपेंद्र सिन्हा ने जंकशन पर यात्रा ी सुरक्षा को देखते हुए 22 कैमरे लगाने का प्रस्ताव बनाया था. यह प्रस्ताव हाजीपुर मुख्यालय को भेजा गया. करीब तीन माह गुजर जाने के बाद भी इस पर किसी का ध्यान नहीं है. दीपावली से पहले वर्तमान रेल एसपी प्रकाशन नाथ मिश्र ने छठ त्योहार से पहले ही कैमरा लगाने का काम शुरू होने की संभावना जतायी थी, लेकिन इसके बीस दिन बाद भी कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है.
जंकशन पर फिलहाल 32 सीसीटीवी कैमरों की मदद से यात्रा ियों की सुरक्षा हो रही है, लेकिन कैमरे के मेनटेनेंस नहीं होने की वजह से उसकी पिर क्वालिटी सही नहीं है. रेलवे सूत्रों की मानें, तो जंकशन के क्लोज सर्किट रूम में बैठे रेल पुलिस कर्मचारियों को भी फोटो स्पष्ट दिखायी नहीं देता है. इस वजह से उन्हें पिर जूम करके देखना पड़ता है. ऐसे में कोई घटना होती है, तो यात्रा ियों सहित रेलवे प्रशासन को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
खुल गयी पोल
पटना जंकशन पर टिकट दलालों का धंधा हमेशा चरम पर रहता है. परीक्षाओं व त्योहारों का मौसम रहने के कारण इनका धंधा खूब चमकता रहता है. दिल्ली, कोलकाता, मुंबई व बेंगलुरु जानेवाली करीब तमाम ट्रेनों में परीक्षार्थी वेटिंग लिस्ट चलने के कारण किसी भी कीमत में कंफर्म टिकट लेने को तैयार रहते हैं. जंकशन पर लगे सीसीटीवी कैमरे की उस समय पोल खुल गयी, जब आरपीएफ ने टिकट दलालों को पकड़ने के लिए कुछ माह से मुहिम तो चलाया, लेकिन उन्हें पकड़ नहीं पाया. दरअसल दलालों को पकड़ने के लिए सीसीटीवी कैमरे की मदद ली जा रही थी. पिर क्वालिटी सही नहीं होने के कारण मुहिम को सफलता नहीं मिली.