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दर्जा मिला, सुविधा नहीं

पटना: न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल कहने को सुपर स्पेशियलिटी का दर्जा लिए हुए है, लेकिन यहां मरीजों को होनेवाली असुविधा को देख कर यह कहा जा सकता है कि ये दर्जा केवल दिखावे का है. वर्ष 2007 में नेफ्रो व इंडोक्राइन के लिए इस अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी का दर्जा मिला था, लेकिन अब हालत […]

पटना: न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल कहने को सुपर स्पेशियलिटी का दर्जा लिए हुए है, लेकिन यहां मरीजों को होनेवाली असुविधा को देख कर यह कहा जा सकता है कि ये दर्जा केवल दिखावे का है. वर्ष 2007 में नेफ्रो व इंडोक्राइन के लिए इस अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी का दर्जा मिला था, लेकिन अब हालत यह है कि इन दो विभागों में केवल दो चिकित्सक शेष रह गये हैं. पिछले छह साल से इस विभाग में डॉक्टरों की संख्या नहीं बढ़ायी गयी है.

वैसे अस्पताल में कुल चिकित्सकों की संख्या छह है, लेकिन चार चिकित्सक (जेनरल फिजिशियन, गायनी व डेंटिस्ट) अलग-अलग रोगियों का इलाज करते हैं. इंडोक्राइन विभाग में हर दिन 50 मधुमेह रोगी इलाज के लिए आते हैं, लेकिन बुधवार व शनिवार को मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ कर दो सौ से अधिक हो जाती है. सरकार द्वारा उस दिन मधुमेह रोगियों के लिए जांच की व्यवस्था की गयी है.

कई बार हो चुका है निरीक्षण
अस्पताल प्रशासन व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए अब तक स्वास्थ्य विभाग को तीन बार पत्र लिख चुका है, जिसमें डॉक्टर, कर्मचारी सहित अन्य चिकित्सीय उपकरणों की मांग की गयी है. जानकारी के मुताबिक एक माह पहले भी स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों ने अस्पताल का निरीक्षण किया था. इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने कर्मियों, परिसर की कमियों और विभाग की लंबित योजनाओं को उनके समक्ष रखा. इसमें अस्पताल को पांच मंजिला बनाना, 12 चिकित्सकों व 10 चतुर्थ वर्गीय व 12 पारा मेडिकल स्टाफ एवं 8 नर्सो की मांग की गयी है.

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