केवल राजद-जदयू मिल कर नहीं रोक पायेंगे भाजपा को : वाम दल

जनता से किये वायदे पूरे किये होते, तो अकेले नीतीेश ही रोक देते संवाददाता, पटना राजद-जदयू के विलय के प्रस्ताव को वाम दलों स्वार्थ का प्रस्ताव करार दे रहे हैं. भाकपा, माकपा और माले के राज्य सचिवों ने कहा है कि सिर्फ दो दलों के विलय से भाजपा को नहीं रोका जा सकता. कॉरपोरेट कल्चर, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2014 7:03 PM

जनता से किये वायदे पूरे किये होते, तो अकेले नीतीेश ही रोक देते संवाददाता, पटना राजद-जदयू के विलय के प्रस्ताव को वाम दलों स्वार्थ का प्रस्ताव करार दे रहे हैं. भाकपा, माकपा और माले के राज्य सचिवों ने कहा है कि सिर्फ दो दलों के विलय से भाजपा को नहीं रोका जा सकता. कॉरपोरेट कल्चर, पश्चिम परस्त आर्थिक नीतियों और अंधविश्वास के खिलाफ माहौल बना कर ही भाजपा को रोका जा सकता है. माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि दोनों दलों के विलय की योजना अवसरवादी है. भाजपा के विजय रथ को तो अकेले पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रोक ने में सक्षम थे, बशर्ते वे जनता से किये वायदे पूरे किये होते. वह न तो लोगों को सरकारी राशन दिला पाये, न गरीबों को आवास. विधि व्यवस्था को दुरुस्त कर पाने में भी नाकाम रहे. वह संपर्क यात्रा कर लें अथवा राजद-जदयू का विलय, भाजपा को रोक नहीं पायेंगे. भाकपा के राज्य सचिव राजेंद्र सिंह ने कहा कि राजद-जदयू के विलय का प्रस्ताव सिर्फ ऊपर-ऊपर का प्रस्ताव है. भाजपा को रोकने के लिए यदि दोनों दलों का विलय होता है, तो भाकपा उसका स्वागत करेगी, किंतु सिर्फ विलय कर दोनों दल भाजपा को रोक लेंगे, इसमें संदेह है. इस नाम पर ईमानदार पहल होनी चाहिए. माकपा के राज्य सचिव विजयकांत ठाकुर ने कहा कि दोनों दलों का विलय इतना आसान नहीं है. जनता और कार्यकर्ताओं को दोनों दलों को यह बताना होगा कि दोनों दल अलग क्यों हुए थे? राजद-जदयू ने भले ही धर्म का मुद्दा न उठाया हो, लेकिन जाति का मुद्दा तो दोनों दल उठाते रहे हैं. भाजपा की सामंतवादी और आर्थिक नीतियों के खिलाफ दोनों दलों ने चुप्पी साध रखी है. ऐसे में दोनों दलों का विलय भी हो जाये, तो कोई लाभ नहीं होनेवाला है.

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