सिविल सर्जनों की पोस्टिंग रद्द, नियुक्ति पर भी लगी रोक
कोर्ट ने कहा- पिक एंड चूज के तहत हो रही नियुक्तितीन महीने में नये सिरे से करें नियुक्ति व पोस्टिंग, वरीयता क्रम को मिले तरजीह विधि संवाददाता.पटना पटना हाइकोर्ट ने सभी जिलों में सिविल सर्जन की नियुक्ति पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने जुलाई, 2013 के बाद से अब तक स्वास्थ्य विभाग […]
कोर्ट ने कहा- पिक एंड चूज के तहत हो रही नियुक्तितीन महीने में नये सिरे से करें नियुक्ति व पोस्टिंग, वरीयता क्रम को मिले तरजीह विधि संवाददाता.पटना पटना हाइकोर्ट ने सभी जिलों में सिविल सर्जन की नियुक्ति पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने जुलाई, 2013 के बाद से अब तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिविल सर्जन की पोस्टिंग से संबंधित तीनों अधिसूचनाएं रद्द कर दी हैं. न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी के एकल पीठ ने शुक्रवार को डॉ नरेश भूषण की याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन महीने के भीतर नये सिरे से वरीयता क्रम के आधार पर सिविल सर्जनों की नियुक्ति और पोस्टिंग का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि सिविल सर्जन के पद पर प्रोन्नति और नियुक्ति में पिक एंड चूज की नीति अपनायी गयी है. इसके चलते वरीयता क्रम में ऊपरी पायदान पर रहे डॉक्टरों को सिविल सर्जन बनने का मौका नहीं मिल रहा, जबकि निचले पायदान पर रहे डॉक्टर पैरवी के बल पर सिविल सर्जन बन जा रहे हैं. डॉ भूषण के वकील ने कोर्ट को बताया कि वरीयता क्रम में मैं 3000वें क्रम पर हूं. मेरा चयन सिविल सर्जन के पद पर नहीं हुआ, जबकि 5300 के क्रम पर रहे डॉक्टर सिविल सर्जन के पद पर बहाल हो गये. इस पर कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर तल्ख टिप्पणी भी की. कोर्ट ने कहा कि सिविल सर्जन के पद पर तैनाती के लिए कोई नियम व कानून का पालन नहीं किया जा रहा. पैरवी के बल पर पोस्टिंग की जाती रही है. राज्य के सभी जिलों में सिविल सर्जन के एक-एक पद सृजित हैं. इन पदों पर वरीयता क्रम में सीनियर डॉक्टरों को बिठाया जाता है.