निगम प्रकरण. पांच सदस्यीय कमेटी कर सकती है सुनवाई,सं
संवाददाता,पटनानगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी द्वारा पटना नगर निगम को भंग करने की अनुशंसा के बाद अब मुख्यमंत्री के आदेश का इंतजार है. मुख्यमंत्री यदि निगम को भंग करने की अनुमति देते हैं, तो इसकी अधिसूचना जारी की जायेगी. अधिसूचना जारी होने के पहले इसकी सूचना पटना नगर निगम को दी जायेगी. निगम भंग होने […]
संवाददाता,पटनानगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी द्वारा पटना नगर निगम को भंग करने की अनुशंसा के बाद अब मुख्यमंत्री के आदेश का इंतजार है. मुख्यमंत्री यदि निगम को भंग करने की अनुमति देते हैं, तो इसकी अधिसूचना जारी की जायेगी. अधिसूचना जारी होने के पहले इसकी सूचना पटना नगर निगम को दी जायेगी. निगम भंग होने के पहले नगरपालिका राज्य सरकार के पास आवेदन कर सकती है. नगर विकास मंत्री ने बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 69 की उपधारा-दो के तहत छह माह के लिए भंग करने की अनुशंसा की है. धारा के अनुसार सरकार छह माह के लिए नगर निगम को भंग कर सकती है,लेकिन सरकार को बताना होगा कि नगर पालिका ने अपनी शक्ति का अतिक्रमण या दुरुपयोग किया है. अधिनियम के मुताबिक सरकार ऐसा आदेश जारी करने के पहले प्रस्तावित आदेश के विरुद्ध निर्धारित समय सीमा में आवेदन पेश करने की सूचना देगी. अगर नगर निगम की ओर से कोई आवेदन दिया जाता है, तो इसके लिए सरकार अपने स्तर से पांच व्यक्तियों की एक कमेटी गठित करेगी. कमेटी में एक राज्य उच्च न्यायिक सेवा के सदस्य होंगे, जो समिति के अध्यक्ष होंगे. एक उसी वर्ग की किसी अन्य नगरपालिका के मुख्य पार्षद होंगे, एक चार्टर एकाउंटेंट अथवा वित्तीय मामलों में अनुभव प्राप्त व्यक्ति होगा. एक अभियंता और एक अनुमंडल पदाधिकारी स्तर से ऊपर का कोई पदाधिकारी होगा. पदाधिकारी निर्धारित समय में आवेदन पर विचार व प्रतिवेदन देने के लिए समिति को सूचित करेंगे.