बगहा फायरिंग पर बढ़ी तकरार

* सरकार में रहते क्यों नहीं मांगा मुआवजापटना : जदयू सांसद शिवानंद तिवारी ने भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी की भाषा पर आश्चर्य जताया है. उन्होंने कहा कि वे शालीन किस्म के नेता माने जाते हैं, लेकिन बगहा गोलीकांड में जिन धमकी भरी शब्दों का प्रयोग किया गया, वह आश्चर्यजनक है. निदरेष कौन है और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:54 PM

* सरकार में रहते क्यों नहीं मांगा मुआवजा
पटना : जदयू सांसद शिवानंद तिवारी ने भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी की भाषा पर आश्चर्य जताया है. उन्होंने कहा कि वे शालीन किस्म के नेता माने जाते हैं, लेकिन बगहा गोलीकांड में जिन धमकी भरी शब्दों का प्रयोग किया गया, वह आश्चर्यजनक है. निदरेष कौन है और कौन नहीं, क्या यह शासन प्रणाली से हट कर कोई और शख्स तय करेगा. आजादी के बाद से ऐसी कोई सरकार नहीं रही, जिसने बगहा गोलीकांड की तरह तत्परता से निर्णय लिया हो.

* कौन करेगा यकीन
उन्होंने माना कि भाजपा से अलग होने के बाद बनी जदयू की सरकार निर्णय लेने में अधिक सक्षम हो गयी है. सहमति या मान-मनौव्वल की कोई जरूरत नहीं है. एसपी से लेकर थानेदार तक को बदला गया. तीन-तीन थाना प्रभारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया. पांच लाख का मुआवजा व न्यायिक जांच की घोषणा की गयी.

बगहा की तरह अन्य गोलीकांड में मुआवजा देने की मांग पर कहा कि सरकार में रहते हुए भाजपा नेताओं को क्यों नहीं इसकी याद आयी. अगर मोदी खुद नहीं बोल सकते थे, तो अन्य नेता ने मुआवजा की मांग क्यों नहीं उठायी. अब उनकी बातों पर कौन यकीन करेगा.

* नीतीश रॉबिनहुड नहीं
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड त्रासदी में कई काम किये गये. नीतीश कुमार रॉबिनहुड नहीं हैं, जो दो दिनों में 15 हजार लोगों को देहरादून से निकाल दें. ऐसा कारनामा भाजपा के नेता ही कर सकते हैं. देश का नेता बन रहे नरेंद्र मोदी को उत्तराखंड में केवल गुजराती ही दिखे.

भाजपा नेता को आगाह करते हुए कहा कि बिहार की खानेवाले गुजरात की तारीफ करना छोड़ दें. दूसरों की आलोचना करने के बजाय अपने गिरेबान में झांकें, तो बेहतर होगा.

– न्यायिक आयोग थारू समाज के साथ धोखा
पटना : बगहा कांड की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन करने की घोषणा कर मुख्यमंत्री थारू समाज के साथ धोखा कर रहे हैं. भाजपा व उच्चस्तरीय सरकारी जांच दल की रिपोर्ट में यह बात सामने आ गयी है कि पुलिस ने बेवजह गोलियां चलायीं. इसके बाद न्यायिक जांच आयोग के गठन का कोई तुक नहीं है. ये बातें पूर्व मंत्री व भाजपा नेत्री डॉ सुखदा पांडेय ने पार्टी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहीं.

उन्होंने कहा कि मधुबनी गोलीकांड के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन 10 अक्तूबर, 2012 को किया गया. आयोग के पद तीन मई, 2013 को स्वीकृत किये गये, फिर आयोग का अवधि विस्तार किया गया. फारबिसगंज गोलीकांड जांच आयोग का गठन 23 जून, 2011 को किया गया.

21 नवंबर, 2012 को आयोग के लिए छह पद स्वीकृत किये गये. आयोग को 31 दिसंबर, 2013 तक रिपोर्ट देनी है. बिहार के सबसे चर्चित भागलपुर दंगा कांड के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन 22 फरवरी, 2006 को किया गया. अब तक 10 बार आयोग का अवधि विस्तार किया जा चुका है, लेकिन फाइनल रिपोर्ट नहीं आयी. कोसी तटबंध जांच आयोग का गठन 10 दिसंबर, 2008 को किया गया. इसका अवधि विस्तार 30 सितंबर, 2013 तक के लिए किया गया है. इसकी जांच रिपोर्ट कब आयेगी और क्या कार्रवाई होगी, कहना मुश्किल है.

घायल पुलिसकर्मियों की मेडिकल बोर्ड करे जांच : उन्होंने कहा, भाजपा मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख का मुआवजा व एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग पर अडिग है. फर्जी रूप से घायल पुलिसकर्मियों की जांच मेडिकल बोर्ड से कराने की भी मांग है. ये मांगें नहीं मानी गयीं, तो आठ जुलाई को सुशील मोदी कारगिल चौक पर 24 घंटे के अनशन पर बैठेंगे.

पूर्व मंत्री चंद्रमोहन राय ने भी न्यायिक जांच पर सवाल उठाये. मौके पर विधान पार्षद लालबाबू प्रसाद, विजय सिन्हा व संजय मयूख भी थे.

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