पटना. बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने कहा है कि गांधी मैदान में रावण वद्ध कार्यक्रम बाद भगदड़ में 33 लोगों की मौत राज्य सरकार की आपराधिक लापरवाही का नतीजा था. अगर सरकार ने वर्ष 2012 में राजधानी में छठ की घटना से सबक ली होती, तो ऐसी घटना को रोका जा सकता था. उन्होंने कहा कि घटना के 55 दिन बाद आई जांच रिपोर्ट में तो बड़े लोगों को बचा कर सामान्य लोकसेवकों को बलि का बकरा बनाने की कोशिश है.
उन्होंने कहा कि इस दुखद घटना के बाद सत्तारूढ़ दल के कुछ लोगों ने भाजपा पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया था, लेकिन सरकार की उच्चस्तरीय जांच समिति नहीं तय कर पायी कि अफवाह कैसे फैली. इस रिपोर्ट के बाद जदयू के उन नेताओं को माफी मांगनी चाहिए, जो लाश पर राजनीति करने लगे थे. उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपनी शालीनता के विपरीत जाकर भाजपा को अफवाह फैलाने वाली पार्टी बताने लगे हैं.
घटना की जिम्मेदारी और सजा के बारे में गोलमोल बयान से पता चलता है कि जांच समिति ने राजनीतिक दबाव में काम किया है. इस मामले में मुख्यमंत्री को सामने आना चाहिए और बताना चाहिए कि सरकार दशहरा हादसे की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कौन-कौन से दूरगामी और अल्पकालिक उपाय करने जा रही है.