2020-21 से अगले तीन वर्षों में 2.67 लाख करोड़ की जगह 2.46 लाख करोड़ ही मिले,यानी 21 हजार करोड़ रुपये कम संवाददाता,पटना बिहार को केंद्र से मिलने वाली राशि को लेकर जोड़-घटाव शुरू हो गया है.अब राज्य सरकार 15वें वित्त आयोग में अब तक मिली राशि का भी हिसाब लगा रही है.15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर पिछले तीन साल में कितनी राशि मिली इसका तो हिसाब लगाया जा चुका है. राज्य को वित्त आयोग की अनुशंसा के चौथे साल कितनी राशि मिली और कितनी राशि बकाया है या मिलने की संभावना है, इन सबका आकलन किया जा रहा है. योजना एवं विकास विभाग ने इस पर मंथन शुरू कर दिया है. इसी आकलन के आधार पर पांचवें वर्ष के लिए भी राज्य सरकार अलग से कार्ययोजना बनायेगी. माना जा रहा है कि पिछले तीन साल में करीब 21 हजार करोड़ रुपये बिहार को कम मिले हैं. केंद्र से अपनी बकाया राशि के भुगतान के लिए राज्य सरकार अनुरोध करेगी पिछले दिनों मुख्य सचिव के स्तर पर केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि, केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन और उसके तहत मिली बकाया राशि को लेकर उच्चस्तरीय बैठक हो चुकी है. इसमें यह बात सामने आयी है कि शिक्षा विभाग के साथ-साथ ग्रामीण विकास विभाग की सर्वाधिक राशि केंद्र सरकार के पास बकाया है.इसी तरह मनरेगा की राशि भी केंद्र सरकार के पास बकाया है. पीएम आवास योजना समेत ग्रामीण विकास से जुड़ी कई योजनाओं की राशि केंद्र के पास अटकी पड़ी है.इसी क्रम में सरकार देख रही है कि 15 वें वित्त आयोग की अद्यतन स्थिति क्या है? बिहार को 15 वें वित्त आयोग के पहले तीन वर्षों में 21 हजार करोड़ कम मिले हैं. बिहार को 2020-21 से अगले तीन वर्षों में 2.67 लाख करोड़ मिलना था, लेकिन उसे महज 2.46 करोड़ ही मिला.दरअसल, बीते आठ वर्षों में केंद्र की हिस्सेदारी में आठ फीसदी की कमी हो गयी है.खासकर केंद्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी में कटौती हर वर्ष पिछले वर्ष से अधिक बढ़ जाती है.
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